भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी की जयंती पर उन्हें मेरा नमन।स्वतंत्रता के लिये उनका संघर्ष, और राष्ट्रपति के रूप में देश को दिया उनका योगदान अतुल्य है। एक आदर्श के रूप में उनका जीवन हमेशा देश की सेवा करने के लिये हम सभी को प्रेरित करता रहेगा।अद्भुत मेधा के अविस्मरणीय व्यक्तित्व और देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा राजेंद्र प्रसाद की पवित्रात्मा आज भी देश से कुछ अपेक्षाएँ रखती है। देश की अनेक महान विभूतियों के जन्म दिवस को किसी न किसी विशेष-दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती को ‘अहिंसा दिवस’, नेहरु जी की जयंती को ‘बाल-दिवस’ तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिन को ‘एकता दिवस’ के रूप में मानते हैं। इसी प्रकार इंदिरा जी की जयंती को ‘शक्ति-दिवस’, डा राधा कृष्णन की जयंती को ‘शिक्षक-दिवस’, डा विधान चंद्र राय के जन्म दिन को ‘चिकित्सक-दिवस, राजीव गांधी के जन्मदिन को ‘सद्भावना-दिवस’, महान अभियंता विश्वेश्वरैया के जन्मदिन को ‘अभियंता-दिवस’, चौधरी चरण सिंह के जन्म दिन को ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। किंतु अभी तक देशरत्न के नाम पर कोई ‘दिवस-विशेष’ घोषित नहीं किया गया है। क्या भारत की सरकार उनके योगदान को कम आंकती है? बिहार के प्रबुद्ध नागरिकों की वर्षों पुरानी मांग रही है कि डा राजेंद्र प्रसाद जी की जयंती को ‘मेधा दिवस’ के रूप में मनाया जाए। इसलिए आवश्यक है कि भारत सरकार, और राज्य सरकार भी, देशरत्न के जन्मदिन को ‘मेधा-दिवस’ घोषित करे।
संजय राय, शिक्षा संवाददाता. पटना