पटना, ७ दिसम्बर। हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार तथा आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों के निदेशक रहे डा मधुकर का कल संध्या दिल्ली में निधन हो गया। ८ उपन्यासों, ८ कथा संग्रह, ४ कविता संग्रह, ३ संस्मरणों के संग्रह, ३ नाटक समेत ३० मूल्यवान ग्रंथों के यशस्वी लेखक डा गंगाधर के निधन से साहित्य जगत में व्यापक शोक व्याप्त है। बिहार के पूर्णिया ज़िले के झलारी गर्राम में ७ जनवरी १९३२ को जन्मे इस बड़े साहित्यकार ने हिन्दी और हिन्दी साहित्य सम्मेलन की अत्यंत मूल्यवान सेवा की। वे आकाशवाणी के पटना केंद्र के निदेशक भी रहे और साहित्य सम्मेलन की गतिविधियों में पूरी हार्दिकता से सक्रिए रहे।उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा है कि डा मधुकर गंगाधर के रूप में हिन्दी जगत ने अपना एक अत्यंत मूल्यवान हीरा खो दिया है। यह हिन्दी कथा-साहित्य और काव्य-कर्म की बड़ी भारी क्षति है। गंगाधर जी एक बड़े साहित्यकार और उतने ही बड़े संचार-विद और आत्मीय व्यक्तित्व थे। उन्होंने आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए भी अनेक धारावाहिकों का लेखन और निर्देशन भी किया। ‘मोतियों वाले हाथ’, ‘फिर से कहो’, ‘सातवीं बेटी’ (सभी उपन्यास), ‘भारत भाग्य विधाता’, विश-पान’ (नाटक), ‘तीन रंग तेरह चित्र’, ‘मछलियों की चीख’, ‘गर्म गोश्त: वर्फीली तासीर’, ‘सौ का नोट’ (कथा-संग्रह), ‘आकाश-पाताल’, ‘कविता की वापसी’ (काव्य-संग्रह) उनके प्रमुख रचनाओं में सम्मिलित हैं।शोक व्यक्त करने वालों में दूरदर्शन केंद्र पटना के पूर्व केंद्र निदेशक और कवी पुरुषोत्तम नारायण सिंह, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद,प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, साहित्य मंत्री डा भूपेन्द्र कलसी, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, कृष्ण रंजन सिंह, डा अर्चना त्रिपाठी, कुमार अनुपम, डा शालिनी पाण्डेय, पूनम आनंद, डा सागरिका राय, राज कुमार प्रेमी, जयशंकरपुजारी के नाम शामिल हैं।