मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों की वापसी का दबाव बनाने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों के आंदोलन का बुधवार को 21वां दिन है. केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि वो किसी भी कीमत पर इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, लेकिन कुछ संशोधन के लिए तैयार है. किसानों और सरकार की इस जंग में आज का दिन काफी अहम है. दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, इसपर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई है. चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच मामले की सुनवाई करेगी.दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ कानून की पढ़ाई करने वाले ऋषभ शर्मा ने दायर की है. इस याचिका में दिल्ली की सीमाओं से किसानों को हटाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि इस तरह लोगों के इकट्ठा होने से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. याचिका में आगे कहा गया है कि दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाना ज़रूरी है. क्योंकि इससे सड़कें ब्लॉक हो रही हैं. इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस भी बाधित हो रही है.उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाकर सरकार की तरफ से आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही किसानों को प्रदर्शन के दौरान कोरोना गाइडलाइन्स का पालन भी करना चाहिए.किसानों से जुड़े अन्य याचिका पर भी होनी है सुनवाई.सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं. शीर्ष अदालत में किसानों से जुड़ी एक और याचिका पर आज सुनवाई होनी है. इस याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को किसानों की मांग पर विचार करने का निर्देश दे.किसानों ने सख्त किया रुख, इस बीच किसान नेताओं ने अपना रुख कड़ा करते हुए मंगलवार को कहा कि वे सरकार से इन कानूनों को वापस कराएंगे. किसान नेताओं ने कहा कि उनकी लड़ाई उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां वे इसे जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि अपनी मांगों के लिए वे बुधवार को दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह जाम कर देंगे. सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा, ‘सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे.’सरकार शंका दूर करने के लिए 24 घंटे तैयार.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों की ‘साजिश’ करार देते हुए मंगलवार को कहा कि किसानों का कल्याण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है. उनकी शंकाओं के समाधान के लिए सरकार चौबीसों घंटे तैयार है.गुजरात के कच्छ में कई विकास परियोजनाओं का यहां शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा. पीएम ने कहा कि कृषि सुधारों की मांग वर्षों से की जा रही थी और अनेक किसान संगठन भी यह मांग करते थे कि किसानों को कहीं पर भी अनाज बेचने का विकल्प दिया जाए.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.