नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों और केंद्र सरकार के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है. किसान आंदोलन में उस समय सरगर्मी तेज हो गई, जब आंदोलन के समर्थन में संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली. बाबा राम सिंह को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. बाबा बुड्ढा साहेब जी प्रचारक सभा करनाल के सेक्रटरी गुलाब सिंह ने बताया कि वह साल 1996 से बाबा का शिष्य हैं. उन्होंने बताया कि बाबा किसान आंदोलन से काफी दुखी थे. उन्होंने खुद को गोली मारने से पहले डायरी में जो बात लिखी है, उसे पढ़ने के बाद हम यही कह सकते हैं कि किसान आंदोलन में उन्होंने अपनी शहादत दी है.सूत्रों के मुताबिक गुलाब सिंह कहते हैं, जब यह घटना हुई उस वक्त भाई मंजीत सिंह उनके नजदीक ही थे. वह हर वक्त बाबा के साथ रहते थे. उन्होंने बताया कि 8 और 9 दिसंबर को करनाल में बाबा ने अरदास समागम रखा था. इस समागम में कई जत्थे आए थे. समागम में किसान अंदोलन से जुड़े कई किसान भी शामिल हुए थे. किसानों से बात करने के बाद 9 दिसंबर को बाबाजी ने किसान आंदोलन के लिए 5 लाख रुपये भी दिए थे.बाबा राम सिंह हर दिन वह डायरी लिखते थे. वह कहते कि मुझसे यह दुख देखा नहीं जा रहा है.गुलाब सिंह ने बताया कि घटना वाले दिन बाबा फिर से पहुंचे थे. यहां पहुंचने के बाद उन्होंने अपने सेवादारों से कहा कि वह मंच पर जाएं.बाबा इस दौरान गाड़ी में ही बैठे रहे. गाड़ी में बैठकर उन्होंने एक नोट लिखा, इसमें उन्होंने लिखा कि किसान आंदोलन से दुखी होकर कई भाइयों ने अपनी नौकरी छोड़ी, अपना सम्मान वापस किया. ऐसे में मैं अपना शरीर समर्पित कर रहा हूं. इसके बाद गाड़ी में रखी पिस्टल से उन्होंने खुद को गोली मार ली.गुलाब सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन में बाबा राम सिंह ने अपनी शहादत दी है. उन्होंने बताया कि बाबा के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नानक सर सिंगड़ा, करनाल हरियाणा में होगा. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे शांति बनाकर रखें और ज्यादा से ज्यादा सिमरन करें.
निखिल की रिपोर्ट.