आज किसानों के आंदोलन का 28वां दिन है पर अब तक कोई भी बात नहीं बन पायी है। जहां एक ओर सरकार अपने इरादे पर अड़ी हुई है तो वहीं दूसरी ओर किसान तीनों नए कानून वापस लेने की मांग पर डटे हुए हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने एक बार फिर से बातचीत का प्रस्ताव किसानों को भेजा है जिस पर किसान ने बातचीत करने का फैसला भी ले लिया है। बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर 40 किसान संगठनों की बैठक में यह फैसला लिया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने अपनी सहमति पूरी तरह सेजता दी है। 40 किसान संगठनों की बैठक के बाद आयोजित पीसी में योगेंद्र यादव ने यह साफ कहा है कि – ‘हम तीनों कृषि कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं…’
वहीं, न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जो प्रस्ताव सरकार से आया है उसमें कुछ भी साफ नहीं है और ना ही स्पष्ट है। उन्होंने यह भी कहा है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार ठोस प्रस्ताव लिखित में भेजें और खुले मन से बातचीत के लिए बुलाए।
प्रिया की रिपोर्ट.