पटना, ६ जनवरी। शास्त्रीय नृत्य के महान आचार्य और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पूर्व कलामंत्री डा नगेंद्र प्रसाद ‘मोहिनी’ का संपूर्ण व्यक्तित्व ही मोहक था। वे कला और संगीत के मूर्तमान रूप थे। वे एक ऐसे नृत्यर्षि थे, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय संगीत और नृत्य को अर्पित कर दिया था। उन्होंने नृत्य में हज़ारों शिष्य-शिष्याओं को निपुण बनाया और अनेकों पुस्तकें लिख कर इस सारस्वत आनंद-प्रद विधा को समृद्ध किया। वे नृत्य-शास्त्र में पी एच डी की उपाधि प्राप्त करने वाले वे देश के अंगुली-गण्य आचार्यों में थे। वहीं कवि सच्चिदानंद सिन्हा एक ऐसे साहित्यकार थे, जिनका हिन्दी भाषा और साहित्य के लिए अद्भुत समर्पण था। उनकी वाणी और विचार दोनों ही गम्भीर और सारस्वत-प्रतिभा से परिपूर्ण थे।
यह बातें बुधवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मोहिनी जी की जयंती तथा कवि सच्चिदानंद सिन्हा की स्मृति में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि मोहिनी जी कला को समर्पित एक ऐसे कलाकार थे, जिन्हें ईश्वर ने अपने समस्त सारस्वत वैभव से परिपूर्ण किया था। सम्मेलन के कला विभाग को उन्नत करने तथा मंच के सौंदर्यीकरण में उन्होंने अपनी सांगितिक प्रतिभा ही नहीं अपना धन भी लगाया। इस अवसर पर स्मृतिशेष कवि सच्चिदानंद सिन्हा के दो सद्यः प्रकाशित काव्य-संग्रहों ‘दिल के दर्पण में’ तथा ‘मधुर यादें ज़िंदगी की’ का लोकार्पण भी किया गया।
अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के प्रधानमंत्री ने कहा कि कवि सच्चिदानंद जी काव्य-प्रतिभा से संपन्न एक विनम्र कवि थे। उनके आग्रह पर उनकी पुस्तक ‘दिल के दर्पण से’ पर लिखी गई मेरी भूमिका के लिए वे बहुत प्रसन्न हुए थे। पर क्या पता था कि उनके जीवन-काल में पुस्तक का लोकार्पण नहीं हो सकेगा! आज जब उनके पुत्रों के सौजन्य से उनकी पुस्तकों का लोकार्पण हो रहा है तो मन द्रवित हो रहा है।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी, कवि के पुत्र राकेश कुमार सिन्हा और शैलेश कुमार सिन्हा, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, कुमार अनुपम, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, राज कुमार प्रेमी, चित रंजन लाल भारती तथा लता प्रासर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
सम्मेलन की कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास के निर्देशन में कलाविभाग की ओर से नृत्य-गुरु को सांगितिक तर्पण दिया गया। काशिका के कत्थक-नृत्य, अविनय काशीनाथ पाण्डेय तथा पल्लवी विश्वास के गायन का श्रोताओं ने मुक्त-हस्त से प्रशंसा की। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया।
इस अवसर पर स्वामी श्रीधर गिरि, रामाशीष ठाकुर, काँति सिन्हा, सरिता सिन्हा, कविता सिन्हा, अमरेश कुमार, ललन कुमार सिंह, आनंद किशोर मिश्र, शिवानंद गिरि, रविंद्र कुमार सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद तथा निशि कांत मिश्र समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।