कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला तीनों कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्यों की कमेटी गठित की। कमेटी में अर्थशास्त्री प्रमोद जोशी हरसिमरन मान व अशोक गुलाटी शामिल। किसान कानून पर फिलहाल के लिये रोक लगाई।उच्चतम न्यायालय केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को तगड़ा झटका देते हुए तीनों कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही इस कानून से संबंधित विवाद को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने एक कमेटी के गठन का भी निर्देश दिया है जो संबंधित पक्षों के विवादित मामलों की सुनवाई करेगी। कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं और किसान आंदोलने से जुड़े याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। मोदी सरकार के कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। पिछले 47 दिनों से पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर डटे हुए हैं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की समस्या के निदान के लिए एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम एक कमेटी बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो. हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी में नहीं जाएंगे। वहीं, दूसरी एडवोकेट एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। -सुप्रीम कोर्ट ने हरीश साल्वे के आरोप पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन इस प्रदर्शन को फंडिंग कर रहे हैं। इसका उल्लेख अदालत के समक्ष एक याचिका में किया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एजी वेनुगोपाल से पूछा- क्या आप कन्फर्म कर सकते हैं कि यह सही है?
एजी वेनुगोपाल ने कहा- हम पुष्टि कर सकते हैं। हमें एक दिन का समय दीजिए … 26 जनवरी को देश में हाई सिक्योरिटी होती है। एक लाख लोगों को राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्हें अपने फायदे के लिए न्यायालय की सहायता नहीं लेनी चाहिए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे पुलिस पर ही छोड़ दिया जाए। हमें इसका निर्णय लेने का हक नहीं। उच्चतम न्यायालय ने किसान संगठनों से कहा, ‘यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा।
निखिल दुबे की रिपोर्ट.