बिहार पुलिस के 2001 से लेकर 2020 तक के आपराधिक आंकड़ों पर नज़र डाले तो 18 सालों में बिहार में बलात्कार की घटनाएं लगभग दोगुनी बढ़ गईं है। वहीं, हत्या, डकैती, किडनैपिंग, लूट जैसे संज्ञेय अपराधों में तो ढाई गुना से भी अधिक वृद्धि हो गई है।
गौरतलब है कि रूपेश सिंह हत्याकांड के बाद बिहार की कानून व्यवस्था एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है। हालांकि अपराधी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर ही घूम रहे हैं और सूबे के मुखिया नीतीश कुमार से लेकर DGP एस.के. सिंघल तक हर कोई बस यही दावा करते दिख रहा है कि सब कुछ बढ़िया है।
वहीं, दूसरी ओर नीतीश कुमार से बिहार में बढ़ते अपराध पर जब भी कोई सवाल किए जाते हैं तो उनके पास एक ही जवाब तैयार होता है कि – ‘2005 से पहले क्या स्थिति थी?’
आशच्य की बात यह है कि नीतीश कुमार 15 साल सरकार चलाने के बाद भी अपनी उपलब्धियां बताने से ज्यादा यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि उनसे पहले लालू-राबड़ी शासन काल में हालात कितने बदतर थे। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही मीडिया के सवालों पर भड़के नीतीश कुमार ने यह दावा किया था कि अपराध के मामलों में बिहार देश में 23वें नंबर पर आता है लेकिन NCRB का डेटा यह कहता है कि 2019 में देश भर में हुए अपराधों में से 5.2 फीसदी अपराध बिहार में दर्ज हुए हैं।
और तो औऱ इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, गुजरात, मध्यप्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के बाद बिहार का ही नंबर आता है… यानी नीतीश कुमार का दावा झूठा है।
बिहार में क्राइम सर्वे के अनुसार 2001 से लेकर 2020 तक के आपराधिक आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 2001 में कुल 746 बलात्कार हुए जबकि 2019 में कुल 1450 बलात्कार की घटनाएं हुईं हैं।
यही नहीं, अपराध के बढ़ते आंकड़ों पर पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने बढ़ती जनसंख्या को भी जिम्मेदार ठहरा दिया था। दूसरी ओर कुछ और लोगों की भी यही दलील है कि जब जनसंख्या बढ़ेगी तक अपराधों की संख्या भी बढ़ेगी… अब ज़रा बिहार की जनसंख्या पर गौर करें – 2001 की जनगणना के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 8,28,78,796 थी जो 2011 की जनगणना के मुताबिक बढ़कर 10,38,04,637 हो गई।
बताते चलें कि अब अगली जनगणना 2021 में होनी है लेकिन माना जाता है कि फिलहाल बिहार की आबादी 12-13 करोड़ ही है। यानी 2001 से 2019 के बीच बिहार की आबादी करीब 50 फीसदी की दर से बढ़ी है लेकिन इसी दौरान बिहार में अपराध 180 फीसदी की दर से काफी बढ़ गई हैं। यानी खुद बिहार पुलिस के आंकड़े भी नीतीश कुमार के दावों की पोल खोलते नज़र आ रहे हैं।
प्रिया सिन्हा की रिपोर्ट.