नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी संवैधानिक तथा वैधानिक मूल्यों को ध्वस्त करने का प्रयास कर बिहार की जनता के बीच झूठा एवं भड़काऊ बयानबाजी कर पुणः भ्रम एवं अव्यवस्था फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके अमर्यादित तथा अशोभनीय गतिविधियों तथा वक्तव्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। बिहार की जनता ने तो उन्हें स्पष्ट तौर पर नकार दिया है। अज्ञानता की प्रकाष्ठा यह है की उन्हें विपक्ष के नेता के तौर पर संविधान द्वारा प्रदत्त अपने कर्तव्यों तथा अधिकारों की सीमाओं की जानकारी तक नहीं है। तेजस्वी यादव जी सोशल मीडिया ट्विटर पर जिन शब्दों तथा अमर्यादित भाषाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसे वह अपना मौलिक अधिकार बता रहे हैं उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि उनके शब्द तथा आचरण मौलिक अधिकार के सुनिश्चित अधिकार ( absolute right ) कि श्रेणी में नहीं आता है, क्योंकि संविधान के प्रावधान अनुच्छेद 19 (¡¡) के अनुसार इस अधिकार पर राज्य को युक्ति युक्त प्रतिबंध लगाने का अधिकार है ताकि श्री तेजस्वी यादव जैसे लोग अपने नकारात्मक स्वार्थ को साधने के लिए भारतीय संस्कृति, तहजीब और तमीज पर प्रहार न कर सके और समाज में विधि व्यवस्था, भाईचारा, आपसी प्रेम और सौहार्द भंग ना हो सके। भारतीय दंड संहिता तथा अन्य अधिनियम के तहत इस प्रकार के शब्द तथा आचरण दंडनीय अपराध है.
कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट.