पटना, २४ जनवरी। स्वामी सहजानंद सरस्वती के यशस्वी शिष्य और स्वतंत्रता सेनानी पं रामनारायण शास्त्री प्राच्य-विद्या के महान अन्वेषक और संरक्षक ही नहीं एक अत्यंत तेजस्वी वक्ता भी थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज के कल्याण और भारतीय संस्कृति के संपोषण अर्पित कर दिया। वे महान विचारक, भारतीय दर्शन के प्रचारक और भारतीय वांगमय के विद्वान पंडित थे।यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, पं राम नारयान शास्त्री स्मारक न्यास के तत्त्वावधान में शास्त्री जी की जयंती पर आयोजित समारोह का दिल्ली से वर्चुअल उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कही। श्री चौबे ने अपने संस्मरणों को साझा करते हुए, उन्हें एक दिव्यात्मा बताया तथा उनकी स्मृति को श्रद्धापूर्वक तर्पण दिया। समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने शास्त्री जी को स्मरण करते हुए कहा कि ऐसे मनीषी विद्वानों और सतत साधना से समाज को सदा लाभ प्राप्त हुआ है। उनका व्यक्तित्व आदरणीय और अनुकरणीय है।विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित भारतीय दर्शन के यशस्वी प्रचारक रामदत्त चक्रधर ने उन्हें भारतीय स्मिता के प्रखर पूरुष के रूप में स्मरण किया तथा उनके विराट व्यक्तित्व और साधना को अनुकरणीय बताया।समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन-अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि शात्री जी समस्त देवोपम गुणों से युक्त एक ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने साढ़े पाँच सौ से अधिक दुर्लभ ग्रंथों की अति मूल्यवान पांडुलिपियों का संग्रह किया था। इस हेतु उन्होंने संपूर्ण भारत वर्ष की कठिन यात्राएँ की और अनेकों कष्ट उठाए। वे सम्मेलन के प्रधानमंत्री भी रहे और इस रूप में उन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन में स्तुत्य योगदान दिया। यह एक दुर्लभ संयोग है कि उनकी जयंती और निर्वाण तिथि भी एक ही है और उनकी विदुषी पत्नी ईश्वरी देवी ने भी अपना देह २४ जनवरी को ही छोड़ा जो एकत्व का एक अविस्मरणीय उदाहरण है। इस अवसर पर बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य और यशस्वी विद्वान डा अरुण कुमार भगत और डा शम्भु शरण सिन्हा को ‘पं राम नारयान शास्त्री सारास्वत सम्मान’ से अलंकृत किया गया। माध्यमिक बोर्ड की २०२० की परीक्षा में गणित विषय में सर्वश्रेष्ठ अंक (१००) प्राप्त करने वाली सहरसा की छात्रा स्तुति मिश्र को ‘महीयसी ईश्वरी देवी पुरस्कार २०२१’ से पुरस्कृत किया गया।न्यास के संयोजक और पं शास्त्री के सुपुत्र अभिजीत कश्यप, विधायक अरुण कुमार सिन्हा, पद्मश्री डा शांति जैन तथा न्यास के सचिव सुधीर नारायाण ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत न्यास के अध्यक्ष डा रमेश चंद्र सिन्हा तथा धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन के अर्थ मंत्री योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने किया। मंच का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और पत्रिका ‘स्वत्व’ के संपादक कृष्णकांत ओझा ने किया। आरंभ में बनारस से आए तबला बादक निर्मल यदुवंशी तथा मधेपुरा के रौशन कुमार ने भजन और मनमोहक तबला वादन से समारोह को सारस्वत स्वरूप प्रदान किया।इस अवसर पर, पद्मश्री विमल जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता जनार्दन राय, डा मधु वर्मा, अर्जित शाश्वत, श्रीनाथ मिश्र, प्रशांत रंजन, अनिमेश कश्यप,राधिका रमण सहाय, आनंद किशोर मिश्र, डा प्रणव पराग, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, रजनीश प्रियदर्शी, श्रीकांत शर्मा तथा कृष्ण रंजन सिंह समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट.