मिग-29 और स्पेस फ्लाइट की उड़ान भरने और पंख फैलाने की दुनिया में भारतीय महिलाओं के इतिहास रचने का सिलसिला जारी है. कश्मीर से ताल्लुक रखने वाली 25 वर्षीय आएशा अज़ीज़ ने अपना नाम देश की सबसे युवा महिला पायलट के तौर पर दर्ज कर लिया. ये वही आएशा हैं, जो 2011 में जब चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने सबसे युवा स्टूडेंट पायलट के तौर पर लाइसेंस हासिल कर लिया था. उड़ान को लेकर बेहद रोमांचित रहने वाली आएशा कौन हैं, क्या सोचती हैं और उनके नाम क्या उपलब्धियां जुड़ी हैं, आपको बताते हैं.यह भी याद कीजिए कि कुछ ही दिन पहले भारतीय महिला पायलटों का एक पूरा दल इसलिए सुर्खियों में था क्योंकि पहली बार सैन फ्रांसिस्को से बेंगलूरु तक की फ्लाइट वाया नॉर्थ पोल सिर्फ महिला पायलटों की टीम सफलता से लेकर आई थी. इस इतिहास के बाद अब आएशा ने निजी उपलब्धि हासिल की है. यात्रा की शौकीन होने के कारण पायलट का प्रोफेशन चुनने वाली आएशा से मिलिए.सिर्फ 16 की उम्र में मिला था लाइसेंस, करीब 10 साल पहले आएशा ने यह कीर्तिमान रचा था और स्टूडेंट पायलट के लाइसेंस के बाद आएशा ने 2016 में बॉम्बे फ्लाइंग क्लब से एविएशन में ग्रैजुएशन किया. इसके एक साल बाद उन्हें कमर्शियल लाइसेंस मिल गया था. इसके बाद अमेरिका में नासा के दो महीने के ट्रेनिंग कोर्स के दौरान आएशा ने स्पेस संबंधी ट्रेनिंग तो ली ही, वहां अपनी रोल मॉडल सुनीता विलियम्स से मुलाकात भी की.परिवार को खुशकिस्मती मानती हैं आएशा.अपने पिता को आदर्श बताते हुए एक समाचार एजेंसी से आएशा ने कहा कि वो इसलिए खुशकिस्मत हैं क्योंकि उनके हर सपने को पूरा करने के लिए परिवार ने हर मोड़ पर उनका साथ दिया. 2016 में आएशा के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया था कि आएशा ने जब अपने पिता को पायलट बनने का सपना बताया, तो दसवीं के बाद ही पिता ने उन्हें ड्रीम की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद की.पिता मुंबई से, मां बारामूला की.आएशा के पिता मुंबई में ही पैदा हुए और पले बढ़े जबकि उनकी मां जम्मू कश्मीर के बारामूला ज़िले की हैं. आएशा का एक भाई भी है, जो उन्हें अपना रोल मॉडल मानता है. अपनी कामयाबियों के लिए आएशा अपने परिवार को पूरा श्रेय देती. आएशा ने बताया था कि उन्हें बचपन से ही यात्राओं का बड़ा शौक रहा था और कई लोगों से मिलना. इसके साथ ही, वो उड़ान को लेकर हमेशा रोमांचित रहीं. यही नहीं, नई जगहें, बदलते मौसम और नये लोग हमेशा ही उन्हें आकर्षित करते थे इसलिए आएशा ने पायलट बनने का प्रोफेशन चुना. बाद में आएशा ने इस प्रोफेशन के साथ जुड़ी ज़िम्मेदारी यानी सैकड़ों लोगों की सुरक्षित उड़ान के बारे में भी मानसिक रूप से खुद को तैयार किया.कश्मीरी महिलाओं को लेकर उम्मीद, आएशा कह चुकी हैं कि कश्मीरी महिलाएं जिस तरह आगे बढ़ रही हैं, उससे उन्हें काफी उम्मीद मिलती है. शिक्षा के क्षेत्र में खासकर कश्मीरी औरतों ने काफी तरक्की की है. आएशा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शायद हर दूसरी कश्मीरी महिला या तो मास्टर्स की डिग्री ले रही है या डॉक्टरेट की, यह बहुत बड़ा फैक्ट है.ये उपलब्धियां कभी नहीं भूलेंगीसिर्फ विलियम्स ही नहीं, बल्कि कीर्तिमान रखने वाली कई शख्सियतों से आएशा मिल चुकी हैं. 1960 में प्राइवेट पायलट के लाइसेंस पर पहली बार जिस महिला ने उड़ान भरी थी, उन राबिया फतेहल्ली से 2017 में आएशा मिल चुकी हैं. वहीं, 2018 में आर्मी प्रमुख और भारत के राष्ट्रपति ने आएशा को ‘फर्स्ट लेडीज़’ के टाइटल से नवाज़ा था. यही नहीं, रूस के सोकोल एयरबेस पर MIG-29 उड़ाने की ट्रेनिंग भी आएशा ले चुकी हैं.
प्रियंका की रिपोर्ट.