भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि यूपी और उत्तराखंड में किसान चक्का जाम नहीं करेंगे। दरअसल, गन्ना कटाई होने और मील पर गन्ने पहुंचने के चलते ही यह खास निर्णय लिया गया है। तहसील और कलेक्ट्रेट स्तर पर अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया जाएगा। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों को स्टैंड बाय में रखा है। उन्होंने आगे कहा कि यूपी और उत्तराखंड के किसानों को कभी भी दिल्ली आने को बोला जाएगा तो वह दिल्ली आएंगे।
दूसरी ओर, कुछ लोग कानून में जो चीज नहीं है उसे किसानों के बीच परोसना चाह रहे हैं और इसमें सबसे ज़्यादा भूमिका अगर किसी की है तो वह है विपक्षी पार्टियों की है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी की मानें तो सदन में भी पार्टियां ऐसे बिंदु बोल रही हैं जिनका कानून से कोई लेना-देना नहीं है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे किसान संगठनों ने अब केंद्र के सामने वार्ता के लिए अपनी शर्तें रखनी शुरू कर दी हैं। टीकरी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने भी यह एलान कर दिया है कि कृषि कानूनों पर केंद्रीय स्तर पर तब तक बात नहीं होगी, जब तक जेलों में बंद किसानों को रिहा नहीं किया जाएगा।
प्रिया सिन्हा.