पटना, ७ फरवरी। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन आज एक नए रंग में दिखा। वासंती रंगों में सजी-धजी दर्जनों कवयित्रियाँ रस, रंग और छंद में डूबी हुई, सम्मेलन में रस-पीयूष की बरसा करती रही। अवसर था वसंतोत्सव कवयित्री सम्मेलन का। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस कवयित्री-सम्मेलन में ४० से अधिक कवयित्रियों ने गीत-ग़ज़लों का मधुर पाठ किया, जिनके छंदों से संध्या तक हरसिंगार के फूल झड़ते रहे। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ५१००० रुपए की सम्मान राशि वाले ‘सुभद्रा कुमारी चौहान बाल-साहित्य सम्मान’ के लिए चयनित कवयित्री किरण सिंह को सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने सम्मानित किया।
कवयित्रि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। कवयित्री आराधना प्रसाद ने वसंत का स्वागत करते हुए यह छंद पढ़ा कि “शुभ वसंत की सरस घड़ी में झूम रही चमकीली सरसों/ हल्दी के उबटन से सजकर मुखर हुई शर्मीली सरसों/ कुहू-कुहू गाकर कोयल ने जब भी प्रेम संदेश भेजा/ थिरक उठी तब वसुधा के संग छैल छबीली सरसों।”अनिता मिश्र सिद्धि ने अपने इस गीत को स्वर दिया कि “तुम हो रंगरेज साजना, मेरे मन को रंगते हो/ जाने किन किन भावों से नित मुझको गढ़ते रहते हो”। आज की सम्मानिता कवयित्री किरण सिंह ने कहा- खिल जाती जैसे ही किरणें, निशा सुंदरी हारती है/ सागर हों कितने भी गहरे, पर गंगा ही तारती हैं”। डा सुमेधा पाठक ने प्रश्न किया – “वसंत ! तुम तो ऋतुराज हो न ! ऋतुओं के राजा ! फिर तुम्हारी प्रजा आक्रांत क्यों?”डा पुष्पा जमुआर का कहना था कि “वासंती की गालों पर आया है मधुमास वसंत/ चंचल चितवन मादक है मन/ मदमस्त हवा के झोंकों से आया है मधुमास वसंत”। कवयित्री पूनम आनंद, डा सागरिका राय, पूनम सिन्हा श्रेयसी, प्रेमलता सिंह, डा सुलक्ष्मी कुमारी, मधु रानी लाल, डा सीमा यादव, नम्रता कुमारी, नूतन सिन्हा, रेखा भारती, अभिलाषा कुमारी, अर्चना सिन्हा, डा मीना कुमारी परिहार, लता प्रासर, डा अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, संजू शरण, अलका वर्मा, डा नीलू अग्रवाल, प्रेमलता सिंह,निशा पराशर तथा मेनका कुमारी ने भी अपनी रचनाओं के पाठ से कवयित्री-सम्मेलन को सुगंध और ऊँचाई प्रदान की। मंच का संचालन कवयित्री डा अर्चना त्रिपाठी ने किया।इसके पूर्व काव्य-कार्यशाला में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने काव्य-रचना के विविध रूपों पर प्रशिक्षण-कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, शायर रमेश कँवल, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, राज कुमार प्रेमी, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, राकेश सिन्हा, डा मनोज कुमार तथा भोला नाथ सिंह समेत बड़ी संख्या में सुधी श्रोता उपस्थित थे।
संजय राय की रिपोर्ट