उत्तराखंड स्थित चमोली में आई आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य में लगी टीमें 197 कामगारों को ढूंढ़ निकालने के लिए लगी हुई हैं. राज्य, केंद्र के आपदा मोचन बल और सैन्य इकाईयों के 500 से अधिक जवान फिलहाल तपोवन हायडल प्रोजेक्ट के टनल में फंसे 34 या इससे ज्यादा लोगों की खोज जारी रखे हुए हैं. धौली गंगा नदी पर बना रहा यह प्रोजेक्ट भी आपदा का शिकार हुआ है. इस राहत और बचाव कार्य के दौरान सोमवार को NDRF की 2 टीमों के साथ, ITBP के 300 से अधिक जवान, SSB की 1 टीम और सेना से 120 से अधिक जवान पूरी तरह से उस एक सुंरग की ओर बढ़े जहां और लोगों के फंसे होने की आशंका है. प्रोजेक्ट के ही एक अन्य सुरंग में 12 लोगों को रविवार को बचाया गया था.सैटेलाइट असेसमेंट से मिली यह जानकारी.बाढ़ का कारण अनिश्चित बना हुआ है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के द्वारा सैटेलाइट बेस्ड असेसमेंट में दावा किया कि संभव है कि भूस्खलन के चलते हिमस्खलन हुआ. डिजास्टर मिटिगैशन और मैनेजमेंट सेंटर के कार्यकारी निदेशक पियूष रौतेला ने कहा, ‘7 फरवरी के सैटेलाइट डेटा से स्पष्ट है कि 5,600 मीटर की ऊंचाई पर ग्लेशियर के टर्मिनस पर भूस्खलन से हिमस्खलन शुरू हो गया, जिससे ऋषिगंगा नदी की ओर तेजी से बाढ़ आ गई.रात में भी जारी रहा ITBP का रेस्क्यू ऑपरेशन.स्निफर डॉग, मैप और फावड़े के साथ सुरंग नंबर 1 पर राहत और बचाव दल रविवार शाम से काम पर था. टीम की असल चिंता टनल के भीतर ऑक्सीजन की है. यह टनल दोनों ओर से बंद है ऐसे में लोगों का दम घुट सकता है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बचाव अभियान की समीक्षा करते हुए कहा, ‘ऐसे मामलों में शुरुआती 72 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं. सुरंग बहुत लंबी है. अंदर पर्याप्त ऑक्सीजन हो सकता है.’ITBP की टीम ने रात में भी राहत और बचाव कार्य जारी रखा. ITBP के प्रवक्ता विवेक पांडेय ने कहा कि बहुत ठंड है. अंदर ऑक्सीजन के कुछ स्पॉट्स हैं. हमें उम्मीद है कि हमारे लोग जिंदा होंगे. लगभग 25 मीटर चौड़ी टनल नंबर 1 काफी संकरी है . ऐसे में एक बार में सिर्फ एक ही शख्स भीतर जा सकता है. मौके पर मौजूद डीजीपी अशोक कुमार ने कहा, यह पूरा कचड़े से भरा हुआ है, इसलिए रास्ता साफ करना एक चुनौती है. डीजीपी कुमार ने कहा ‘मरने वालों की संख्या अब 26 हो गई है. लगभग 197 लोग लापता हैं.’ रैनी में पुल ढहने के बाद रविवार को नीती दर्रे के करीब 13 गांवों के करीब 2,500 लोग पूरी तरह से कट गए. डीजीपी कुमार ने कहा, ‘हम इन दूरदराज के गांवों में जरूरी सामानों की एयरड्रापिंग कर रहे हैं और कनेक्टिविटी बहाल होने तक ऐसा करते रहेंगे.’ सोमवार सुबह, 3 एमआई -17 हेलिकॉप्टर, 1 चिनूक और एक एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर राहत और बचाव कार्य के लिए देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर उतरे. रविवार को राहत और बचाव अभियान में दो हरक्यूलिस, दो एएन -32 और सेना के चार अन्य हेलीकॉप्टर लगे हुए थे.
प्रियंका की रिपोर्ट.