प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर आभार व्यक्त करने के क्रम में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के बयान पर पलटवार किया और कहा कि ये भगवान की ही कृपा थी कि दुनिया हिल गई और हम बच गए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ये भगवान की ही कृपा है कि इतनी बड़ी दुनिया हिल गई लेकिन हम बच गए. क्योंकि डॉक्टर और नर्स भगवान का रूप बनकर आए. भगवान सफाई कामदार के रूप में आए. वो एंबुलेंस का ड्राइवर भगवान के रूप में आया था और इसलिए ये भगवान का रूप ही था कि भारत ने 8 महीने तक लोगों को राशन पहुंचाया. ये भारत ही था कि जनधन और आधार के जरिए हमने लाखों लोगों के खाते में पैसा पहुंचाया.” उन्होंने कहा कि एक अनजाने दुश्मन के खिलाफ लड़ना आसान नहीं था. 130 करोड़ भारतीयों के अनुशासन ने हमें बचाकर रखा. भारत की पहचान बनाने के लिए हमें इसे आगे बढ़ाना होगा. क्योंकि अगर आप अपने बच्चे को घर में स्वीकार नहीं करेंगे तो बाहर के लोग भी स्वीकार नहीं करेंगे.इससे पहले उन्होंने कहा, “अंग्रेज महानुभाव कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई इसे एक देश नहीं बना पाएगा. लेकिन, भारतीय जनता ने इसे गलत साबित किया. परंपरा और संस्कृति के साथ आज हम अपनी 75 साल की यात्रा में वैश्विक मंच पर खड़े हैं. हमारी हर सोच और प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ है. हमारे यहां आसानी से सत्ता परिवर्तन हुआ है. सैकड़ों भाषाएं और बोलियों वाला विविधतओं से भरा ये देश आगे बढ़ रहा है.” स्वामी विवेकानंद को कोट करते हुए उन्होंने कहा कि हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है, जो उसे पहुंचाना होता है. हर राष्ट्र का एक मिशन होता है और हर राष्ट्र की एक नियति होती है.उन्होंने कहा, “कोरोना के दौरान भारत ने जिस प्रकार से सबको संभाला और दुनिया की मदद की. जिन संस्कारों के साथ हम वेद से विवेकानंद तक पले बढ़े हैं उसका मूल है सर्वे भवंतु सुखिनः आत्मनिर्भर होने की दशा में भारत ने जिस तरह से कदम उठाए हैं, वो सराहनीय है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में एक नया वर्ल्ड ऑर्डर बना. यूएन का निर्माण हुआ. संस्थाएं बनीं. मैकेनिज्म बना, ताकि दुनिया को शांति की दिशा में आगे ले जाया जा सकें. पोस्ट वर्ल्ड वार की स्थिति में भी सबने अपनी सैन्य शक्ति बढ़ानी शुरू कर दी. शांति की चर्चा हुई लेकिन सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए रिसर्च के लिए सारे रिसर्च हुए.”प्रधानमंत्री ने कहा, “कोरोना के बाद नई दुनिया का समीकरण बन रहा है और हमें तय करना है कि हमें भूमिका क्या रखनी है. लेकिन कोरोना के बाद जो दुनिया बनेगी, उसमें भारत एक कोने में गुजारा नहीं कर सकता. लेकिन सिर्फ जनसंख्या के आधार पर हम दुनिया में अपनी मजबूती का दावा नहीं कर सकते. हमें सशक्त और मजबूत होगा और उसका रास्ता आत्मनिर्भर होना है. भारत जितना सामर्थ्यवान होगा, उतना विश्व कल्याण में मदद करेगा.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.