संजय राय की रिपोर्ट /पटना – अपने समय के लोकप्रिय कैंसर रोग-विशेषज्ञ और साहित्यकार डा रंगी प्रसाद सिंह ‘रंगम’ एक महान चिकित्सक ही नहीं,जीवन-मूल्यों के अत्यंत मूल्यवान कवि भी थे। इनकी रचनाओं में जीवन का राग और समाज की पीड़ा को अभिव्यक्ति प्राप्त हुई। उनके प्राणवंत साहित्य में शोषण के प्रतिकार के स्वर, जीवन के कठोर प्रश्न और सुस्पष्ट उत्तर भी है। इसलिए वे साहित्य के प्रश्न ही नहीं उत्तर भी हैं। यह बातें शनिवार की संध्या बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती-समारोह एवं कवी-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि, रंगम जी के भीतर करुणा और प्रेम का एक सागर लहराता रहा, जिसकी तरंगें उन्हें सृजन की शक्ति और शब्द देती रहीं। वे साहित्य सम्मेलन के अर्थमंत्री और उपाध्यक्ष भी रहे। इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन की साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी ने कहा कि, डा रंगम संपूर्ण मानवीयता से युक्त एक महान चिकित्सक थे। वे रेडियोलौजिस्ट थे किंतु बिहार में, कैंसर की चिकित्सा में उन्होंने सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। वे प्रकृति और प्रेम के कवि थे। राँची विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा जंग बहादुर पाण्डेय तथा डा नागेश्वर प्रसाद यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ कवयित्री आराधना प्रसाद ने वाणी-वंदना से किया।उनकी इन पंक्तियों पर कि “सिर्फ़ उम्मीद पर टिकी मिट्टी/ कुछ नए ख़्वाब देखती मिट्टी/ इक नई ज़िंदगी की चाहत में/ घुमती रही मिट्टी”, श्रोताओं ने उत्साह से हाथ खोले और तालियों से स्वागत किया। सम्मेलन के उपाध्यक्ष तथा सुख्यात कवि मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’ ने अपनी ग़ज़ल पढ़ते हुए कहा कि “ख़ामोशी,चुप्पी, ये सन्नाटा है, ये शमशान है/ शोर-गर्जन है मचा कोहराम, वो तूफ़ान है/ दोस्त ही मुँह फेर कर चल दे जो दुश्मन की तरह/ मैं उसे कैसे कहूँ वो अजनबी अनजान है”। डा शंकर प्रसाद की ग़ज़ल “तेरी सूरत से हम सीरत तेरी जान लेते हैं” को भी दर्शकों की सराहना मिली।वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, राज कुमार प्रेमी, डा सुधा सिन्हा, डा कुंदन कुमार, अशोक कुमार सिंह, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, राज किशोर झा, नागेंद्र कुमार शर्मा आदि कवियों को भी श्रोताओं ने मन से सुना। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया। इस अवसर पर, डा विजय कुमार दिवाकर, आनंद मोहन झा, अमित कुमार सिंह, रवींद्र कुमार सिंह, रीना कुमारी, निशिकांत मिश्र, चंद्रशेखर आज़ाद, प्रभात कुमार आदि अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।