सौरभ निगम की रिपोर्ट /राज्यसभा से रिटायर होने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति जाहिर किए गए उनके प्रेम को लेकर कहा जा रहा है. जम्मू में कांग्रेस के ‘जी-23’ नेताओं की ओर से पार्टी हाईकमान के खिलाफ बगावत का संकेत देने के एक दिन बाद गुलाम नबी आजाद ने सार्वजनिक मंच से पीएम मोदी को जमीनी नेता भी कहा है. ऐसे में अब राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं आजाद पाला तो नहीं बदलने जा रहे. मतलब उनके बीजेपी में जाने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं बढ़ गई हैं.आजाद ने हाल ही में कहा, ‘मैं कई नेताओं की प्रशंसा करता हूं… मैं खुद गांव का हूं और मुझे इसका फक्र है. मैं अपने प्रधानमंत्री जैसे नेताओं की काफी प्रशंसा करता हूं जो कहते हैं कि वह गांव से हैं. वह चाय बेचते थे. मेरे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन वह अपने अतीत को नहीं छिपाते हैं.’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राज्यसभा में आजाद को विदाई देते समय उनकी जमकर तारीफ की थी और एक घटना का जिक्र करते हुए भावुक भी हो गए थे. आजाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे. आजाद की इस टिप्पणी से एक दिन पहले कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन और संगठनात्मक फेरबदल की मांग करने वाले ‘जी-23’ के कई नेता एक मंच पर एकत्र हुए थे. उनका कहना था कि पार्टी कमजोर हो रही है और वे इसे मजबूत करने के लिए एक साथ आए हैं.वहीं बीजेपी में जाने को लेकर गुलाम नबी आजाद का कहना है कि अगर उन्हें बीजेपी में शामिल होना ही होता तो वह अटल बिहारी वाजपेयी के समय में ही चले जाते. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राजनीति में कभी भी कुछ भी संभव है. वहीं गुलाम जम्मू कश्मीर के नेता होने के साथ ही कई बड़ी जिम्मेदारियां भी संभाल चुके हैं. ऐसे में अगर वह बीजेपी में जाते हैं या खुद की पार्टी बनाते हैं तो इसका कांग्रेस को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.गुलाम नबी आजाद ने बीते शनिवार को जम्मू में कहा था, ‘मैं राज्यसभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से नहीं. यह पहली बार नहीं है जब मैं ससंद से सेवानिवृत्त हुआ हूं. अपने अंतिम सांस तक मैं देश की सेवा करता रहूंगा और लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ूंगा.’ इस दौरान उनके साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, राज बब्बर और आनंद शर्मा भी मौजूद थे.इस दौरान यह भी कहा गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजाद की तारीफ कर सकते हैं तो पार्टी को उनके अनुभवों का लाभ लेने में क्या परहेज है. इस घटनाक्रम के अगले दिन खुद आजाद ने भी पीएम मोदी की तारीफ की थी.