कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि अगर ज्योतिरादित्य कांग्रेस में होते तो मुख्यमंत्री हो सकते थे. इस पर सिंधिया ने जवाब दिया.उन्होंने कहा काश-राहुल गांधी पहले ये चिंता कर लेते.राहुल गांधी के उस बयान के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में बयानों के दौर चल रहे हैं. सब अपनी पार्टी लाइन और नफा-नुकसान देखकर बोल रहे हैं.इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान भी आ गया.राहुल गांधी के बयान का खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जवाब दिया है. राहुल गांधी के यह कहने पर कि अगर सिंधिया कांग्रेस में होते तो मुख्यमंत्री होते. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा काश राहुल गांधी को उनकी इतनी चिंता तब होती जब वह कांग्रेस में थे. राहुल गांधी के बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा राहुल को जितनी चिंता अब हो रही है काश इतनी चिंता तब होती जब वह कांग्रेस में थे.ज्योतिरादित्य सिंधिया का यह बयान राहुल गांधी के उस बयान के जवाब में आया है जिसमें उन्होंने कहा था ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में बैकबेंचर बनकर रह गए हैं.वह अगर कांग्रेस में होते तो मुख्यमंत्री होते लेकिन बीजेपी में वह पीछे बैठने वाले यानि बैकबेंचर बनकर रह गए हैं.राहुल गांधी ने ये भी कहा था कि सिंधिया के पास कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर संगठन को मजबूत बनाने का विकल्प था.मैंने उनसे कहा था कि आप एक दिन मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन उन्होंने दूसरा ही रास्ता चुना.राहुल गांधी ने ये भी कहा है कि आप लिख लीजिए, वहां वह कभी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे.उसके लिए उन्हें यहां वापस आना होगा.बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का जवाब.उधर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने भी सिंधिया को लेकर दिए राहुल गांधी के बयान पर पलटवार किया है.वीडी शर्मा ने कहा राहुल गांधी सचिन पायलट की चिंता करें, वो भी सिंधिया के दोस्त हैं.वी डी शर्मा ने कहा सब कुछ खोने के बाद राहुल गांधी ये बात कर रहे हैं.पहले सिंधिया को सम्मान नहीं दिया.बीते साल मार्च 2020 के महीने में ही हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने 22 समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था.उनके इस फैसले से मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिर गई थी.ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने की ये वजह मानी गयी थी कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ उनकी पटरी नहीं बैठ पा रही थी.इस अनबन को सुलझाने की दिल्ली नेतृत्व के स्तर पर भी कोशिशें की गई, बात राहुल गांधी तक भी पहुंची, लेकिन जब कोई समाधान नहीं निकला तो ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए.