वरिष्ठ हास्य-कवि विश्वनाथ वर्मा का निधन / साहित्य सम्मेलन ने दुःख व्यक्त किया ।अपनी चुटीली हास्य कविताओं से काव्य-मंचों पर पर्याप्त यश प्राप्त कर चुके वरिष्ठ हास्य कवि विश्वनाथ वर्मा नहीं रहे। सोमवार की सुबह उन्होंने पटना स्थित अपने आवास पर अपनी अंतिम साँस ली। उनके निधन से साहित्य-जगत में गहरा शोक व्याप्त है। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अपने शोक-वक्तव्य में कहा है कि उनके निधन से बिहार ने क़ाव्य प्रतिभा से संपन्न और काव्य-मंचों पर समादृत एक महत्त्वपूर्ण कवि को खो दिया है। वे इस काल में बिहार के प्रतिनिधि हास्य-कवि माने जाते रहे हैं। उन्होंने अमेरिका और जापान के अप्रवासी भारतीयों द्वारा आयोजित कवी-सम्मेलनों समेत देश-विदेश के अनेको प्रस्तुतियाँ दो। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने अपने ३७वें महाधिवेशन में उन्हें “हास्य रसावतार पं जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी सम्मान” से विभूषित किया था। वे एक ज़िंदादिल इंसान और लोक-मंगल-भाव के अत्यंत आदरणीय कवि थे ।शोक व्यक्त करने वालों में सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, डा भूपेन्द्र कलसी, डा मेहता नगेंद्र सिंह, कुमार अनुपम, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, कृष्णरंजन सिंह, डा नागेश्वर यादव, सुनील कुमार दूबे, डा शालिनी पाण्डेय, राज कुमार प्रेमी, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा अर्चना त्रिपाठी, नेहाल कुमार सिंह निर्मल के नाम सम्मिलित हैं।