रंजय कुमार की रिपोर्ट /पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव ने साफ कर दिया है कि वैसे मुखिया चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित होंगे जो 31 मार्च तक अपने पंचायत में हुए कार्यों का ऑडिट नहीं करायेंगे। पंचायती राज व्यवस्था में यह प्रावधान है कि समय पर ऑडिट कराई जाए। अगर कोई प्रतिनिधि इस कार्य को कराने में विफल होता है तो उस पर कार्रवाई होगी। लिहाजा वैसे पंचायत जहां ऑडिट समय सीमा के भीतर नहीं कराई गई तो वहां के मुखिया को चुनाव लड़ने से रोका जायेगा। पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने सभी को समय सीमा के भीतर UC जमा करने का भी निर्देश दिया है। सरकार के इस फरमान से बिहार के आधे से अधिक मुखिया की उम्मीदवारी संकट में पड़ जाएगी। क्यों कि पचास फीसदी से अधिक पंचायतों ने अब तक कार्यों का ऑडिट नहीं कराया है। अगर वे 31 मार्च तक यह काम नहीं कराते हैं तो उम्मीदवारी पर संकट के बादल होंगे। आपको बता दें कि बिहार में 8300 से अधिक पंचायत हैं। जानकारी के अनुसार इनमें से अब तक करीब 4 हजार पंचायतों ने ऑडिट नहीं कराया है। अगर यही स्थिति रही तो 4 हजार मुखियों को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। सरकार पंचायत के मुखिया पर नकेल कसने की पूरी तैयारी कर ली है। सरकार ने पहले नल-जल योजना को मूर्त रूप नहीं देने वाले पंचायत प्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने का ऐलान किया था। इसके बाद सरकार ने एक और सख्त निर्णय लिया है। पंचायती राज विभाग ने क्लीयर कर दिया है कि 31 मार्च तक ड्यूटी का निर्वहन नहीं करने वाले मुखिया को इस बार चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाएगा।