कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /अपहृत कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मनहास को नक्सलियों ने छोड़ दिया है। नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के दौरान उनका अपहरण कर लिया गया था। आज नक्सलियों ने उनको पांच दिन बाद रिहा कर दिया। पद्मश्री धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के नेता तेलम बोराये और हेमला सुखमती के साथ बीजापुर के चार पत्रकार गणेश मिश्रा, मुकेश चंद्राकर, रंजन दाश और चेतन कपावर जवान को थाने लेकर आए।. बीजापुर में नक्सलियों और सुरक्षा जवानों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद बंधक बनाए गए कोबरा के जवान राकेश्वर सिंह मनहास को आखिर रिहा कर दिया गया. राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने बीजापुर हमले के बाद बंधक बना लिया था. आखिरकार लंबे समय के बाद जवान को गुरुवार शाम को वापस भेजा गया. इससे पहले जवान को वापस लेने के लिए बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी गई थीं लेकिन उन्हें नक्सलियों ने लौटा दिया था. बीते बुधवार को सोनी सोरी कुछ स्थानीय पत्रकारों के साथ जंगल गईं थीं. उनकी नक्सली लीडर से उनकी मुलाकात भी हुई थी लेकिन उन्होंने बंधक जवान राकेश्वर सिंह मनहास को रिहा करने से उस समय मना कर दिया था. गौरतलब है कि नक्सली बीते मंगलवार को एक पत्र जारी कर सरकार की ओर से नामित मध्यस्त को ही जवान सौंपने की बात कह रहे थे. बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र में बीते 3 अप्रैल को सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी. इसमें सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद हो 31 घायल हो गए थे. मुठभेड़ के बाद से ही सीआरपीएफ के राकेश्वर सिंह मनहास लापता थे. नक्सलियों ने 5 अप्रैल को एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया था कि लापता जवान उनके कब्जे में है. इसके बाद उन्होंने बीते बुधवार को जवान की एक तस्वीर भी जारी की. जवान को छुड़ाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी नक्सलियों ने मिलने गईं थीं, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था.जवान की रिहाई पर उनकी पत्नी मीनू ने कहा कि ये उनके जीवन का सबसे सुखद पल है. उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन था कि वे वापस लौटेंगे. इसके साथ ही अन्य परिजन ने भी सभी का शुक्रिया किया और उनकी वापसी पर खुशी जताई.