निलांशु रंजन के फेसबुक वॉल से कौशलेंद्र पराशर की विशेष रिपोर्ट / सब गोलमाल है…. इतना ज़बरदस्त गोलमाल कि आप भी गोल-गोल घूमते रह जाएं. प्रधानसेवक टीवी पर आए और देश को उन्होंन संबोधित किया. उनके संबोधन में ऐसा क्या था, न यह देश को समझ में आया, न अवाम को. चारों ओर लूटपाट मची है और इस भयानक आपदा की घड़ी में भी लोग लूटने से गुरेज़ नहीं कर रहे और खुले आम जेबकतरे आपकी जेब को काट रहे हैं और आपके मरीज़ों को मुर्दाघाट भेज रहे हैं, इस पर केन्द्र से लेकर राज्य सरकार तक ख़ामोश हैं. हाँ, आश्वासन बहुत है.
जनाब, मैं बात कर रहा हूँ रेमडेसिविर से संबंधित उठे विवाद को लेकर. कोरोना के इस विस्फोट में एम्स दिल्ली व पटना के निदेशकों ने जो विस्फोट किया है, क्या उस पर सरकार ठोस जवाब देगी या यूँ ही संबोधन करती रहेगी?
एम्स दिल्ली के डाॅक्टर रणदीप गुलेरिया और पटना एम्स के डाॅक्टर पी के सिंह ने यह कहकर चौंका दिया है कि कोरोना में बेहद संक्रमित मरीज़ों को रेमडेसिविर का इंजेक्शन देना ग़लत इलाज है. डाॅक्टर पी के सिंह ने जब पटना हाईकोर्ट में यह बात कही तो खंडपीठ के जज भी सकते में आ गए और उन्होंने सरकार से इस पर जवाब तलब किया है.
सवाल है, रेमडेसिविर के इस खेल के पीछे का खेल क्या है? केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅक्टर हर्षवर्धन ख़ुद एक डाॅक्टर हैं- क्या वे इस खेल का फाश करेंगे? अगर रेमडेसिविर इलाज नहीं है, तो फिर पचास हज़ार से लेकर लाख- लाख रूपये तक जो इसकी कालाबाज़ारी हो रही है, इस कालाबाज़ारी में कौन- कौन शामिल हैं और डाॅक्टर धड़ल्ले से आख़िर क्यों रेमडेसिविर लाने को कह रहे हैं? संसद से लेकर उद्योगपतियों तक का जो काॅरिडोर है, उसमें कौन-कौन शामिल हैं? इस घिनौने कृत्य का क्या पर्दाफाश होगा?
ऑक्सीजन का एक सिलिंडर छह गुना ज़्यादा क़ीमत पर कालाबाज़ारी हो रही है- छह हज़ार का सिलिंडर छत्तिस हज़ार में मिल रहा है और सरकार दावे कुछ और कर रही है.
एक तो पहले से ही पेट्रोल, ईंधन व साग- सब्ज़ियों की क़ीमत लोगों को परेशान की हुई है, उस पर से महामारी में महाघोटाला. क्या मान लिया जाए कि अच्छे दिनों की यही अलामत है? लगा था, हुज़रेआला इस पर कुछ रौशनी डालेंगे. मगर वहाँ भी निराशा हाथ लगी. आख़िर कौन होगा अकाउंट्बल? एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मात्र एक चौथाई लोगों को आईसीयू, बेड व ऑक्सीजन मयस्सर हो पा रहे हैं. सारे अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. कुछ तो बोलिये हुज़ूर, कुछ तो संबोधन कीजिये टीवी पर और पर्दाफाश कीजिये. आपने तो कहा था हुज़ूर, न खाएंगे न खाने देंगे. लोग बड़ी उम्मीद से आपकी तरफ़ देख रहे हैं हुज़ूर. बहुत हुआ चुनाव. अब ज़रा इस घपले पर भी कुछ बोलिये- कुछ तो बोलिये हुज़ूर.