सिया राम मिश्र,वरिष्ठ संपादक.कलकत्ता हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे कोई अभिभावक स्कूल फीस का भुगतान करने में असमर्थ पाए जाते हैं तो स्कूल प्रबंधन छात्र को फिजिकल अथवा ऑनलाइन क्लासेस से वंचित नहीं कर सकेगा। सोमवार को स्कूल की फीस से संबंधित एक मामले की अंतरिम सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने यह निर्देश दिया। हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इस आदेश का किसी भी तरह से दुरुपयोग न हो।बताते चलें कि स्कूलों और कॉलेजों सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों को देश भर में कोरोना संक्रमण की शुरुआत से बंद कर दिया गया था। बाद में जब स्थिति कुछ सामान्य हुई, तो कई कक्षाएं शुरू की गईं। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में स्थिति को तगड़ा झटका दिया है। ऐसी स्थिति फिर से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हो गई हैं। हालांकि, कई माता-पिता कोरोना के संकट के कारण वित्तीय समस्याओं से पीड़ित हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह निर्देश दिया है।
साथ ही हाईकोर्ट ने जानकारी दी कि शुल्क के संबंध में पिछले साल 13 अक्टूबर को दिया गया निर्णय अगली सूचना तक लागू रहेगी, जिसमें कहा गया था कि माता-पिता को 30 नवंबर तक 80 प्रतिशत बकाया का भुगतान करना होगा। अन्यथा स्कूल अधिकारी अपनी इच्छानुसार कार्रवाई कर सकेंगे।
उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद कई छात्रों ने प्रवेश शुल्क का भुगतान करने के अलावा पूरे वर्ष के लिए कोई शुल्क नहीं दिया जब वे पिछले साल अगली कक्षा में गए थे। ऐसी स्थिति में स्कूल अधिकारियों ने शिकायत की कि इस स्थिति में स्कूल चलाना कैसे संभव होगा। दूसरी ओर, अभिभावकों ने स्कूल अधिकारियों पर पूरी फीस वसूलने का भी आरोप लगाया था।