पटना दिल्ली ब्यूरो /2 मई को ममता दीदी पूर्व मुख्यमंत्री हो जाएंगी, ये ग़ुस्सा… ये हताशा बता रहा है कि ममता दीदी ने हार मान ली है… दीदी ओ दीदी… दीदी तो गईं….याद आया, ये बयान किनके हैं? जी, बिल्कुल सही समझा आपने. ये बयान हैं प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी जी के. लेकिन ममता बनर्जी ने सारे आंकड़े और सारे बयानों को धता बताते हुए यह साबित कर दिया कि अभी बंगाल की दीदी वही हैं, दादा कोई नहीं. ममता बनर्जी की यह ज़बरदस्त जीत इसलिए भी अहम है कि यह चुनावी लड़ाई ममता बनर्जी बनाम नरेंद्र मोदी की थी. पूरे बंगाल में ममता के होर्डिंग्स लगे थे या फिर मोदी जी के. पश्चिम बंगाल से भाजपा का कोई ऐसा चेहरा नहीं था जिसे ममता के ख़िलाफ़ प्रोजेक्ट किया जा सके. आख़िर मोदी जी तो मुख्यमंत्री बनते नहीं. भाजपा का कोई चेहरा ही नहीं था मुख्यमंत्री मंत्री का. इसलिए ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ मोदी जी ने ख़ुद कमान संभाल ली. इसलिए यह भाजपा की हार नहीं है, मोदी जी की हार है. मोदी और शाह की जोड़ी ने पूरी ताकत झोंक दी लेकिन हमार सोनार बांग्ला उनके हाथ से फिसल गया. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने 200 सीटों पर जीतने का दावा किया था. हालांकि इसी आंकड़े का दावा उन्होंने बिहार में भी किया था.
भाजपा बंगाल की जनता की नब्ज़ पहचानने में चूक गई और हिन्दू कार्ड को बंगाल की जनता ने नकार दिया. जिस तरह से मोदी जी और अमित शाह जी ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे थे, उससे स्पष्ट था कि ममता बनर्जी के कद और लोकप्रियता से वे घबराए थे. दूसरी बात, जिस तरह की भाषा का ये लोग इस्तेमाल कर रहे थे, उसे वहाँ की महिला मतदाताओं ने नकार दिया. आप ममता बानो कह कर मज़ाक उड़ा रहे थे, इसे वहाँ की महिला मतदाताओं ने बिल्कुल पसंद नहीं किया. महिला मतदाताओं ने घर से निकल कर खुले मन से वोट कीं.
जिन पर सारधा-नारधा घोटाले की तलवार लटक रही थी और केन्द्रीय एजेंसियां जिनके दरवाज़े दस्तक दे रही थी, वे जब भाजपा में शामिल हुए तो वे पाक साफ़ हो गये.
भाजपा वाले अब कह रहे हैं कि मुस्लिम वोटों का पूरी तरह से ध्रुवीकरण हुआ. आपने भी तो पुरज़ोर कोशिश की हिन्दू सेंटीमेंट्स को भुनाने की. क्यों नहीं कर पाए आप? आपको क्या लगता है कि सिर्फ़ मुसलमानों ने ममता को वोट किया. आपने अंधाधुंध तरीक़े से ममता पर हमला किया और दांव उल्टा पड़ गया.
हाँ, इतना ज़रूर है कि जिस तरह भाजपा तीन सीटों से इतना ऊपर आई है, तो भाजपा को श्रेय दिया जाना चाहिए. लेकिन भाजपा को समझ लेनी चाहिए कि महज़ ज़ुबानी प्रहार से बंगाल की अस्मिता को नहीं समझा जा सकता. अब ममता बनर्जी के लिए भी यह चुनौती पूर्ण होगा कि अपनी तीसरी पारी में वे जनता की आकांक्षाओं पर खड़ा उतरें और महिलाओं के लिए कुछ ख़ास योजना लाएं. बहरहाल, ममता बनर्जी को इस प्रंचड जीत के लिए बहुत बधाई.