सियाराम मिश्रा की विशेष रिपोर्ट /पीएम मोदी के प्रस्तावक प्रख्यात ठुमरी गायक पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र की बड़ी बेटी संगीता मिश्रा इलाज में लापरवाही और मौत के मामले में पीएम मोदी तक पहुंची शिकायत के बाद अधिकारी फास्ट हो गए हैं। एक तरफ जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने तीन सदस्यीय चिकित्सकों की जांच कमेटी गठित की है तो दूसरी तरफ पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने डीसीपी काशी को जांच के आदेश दिए हैं। डीसीपी ने इस संबंध में सहायक पुलिस आयुक्त कोतवाली प्रवीण कुमार सिंह को जांच करके आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। छन्नू लाल ने खुद फोन से लापरवाही की शिकायत प्रधानमंत्री से की थी। तीन सदस्यीय कमेटी मौत से जुड़े सभी पहलुओं की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी।पं. छन्नू लाल मिश्र की छोटी बेटी डा. नम्रता ने सोमवार की दोपहर हास्पिटल पहुंचकर इलाज के दौरान दी गई दवाओं का ब्योरा व सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की मांग की। इस दौरान अस्पताल प्रबंधन से जुड़ा कोई सामने नहीं आया। इस पर उन्होंने कोतवाली थाने में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ तहरीर दी। कोतवाली प्रभारी का कहना है कि जांच के बाद विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।डॉ. नम्रता मिश्रा का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन के इलाज में लापरवाही करने से उनकी बड़ी बहन की मौत हो गई। उन्होंने बड़ी बहन संगीता मिश्रा के भर्ती होने से लेकर उनका शव बेड से हटाए जाने तक के अनकट सीसीटीवी फुटेज की मांग की है। डा. नम्रता मिश्रा ने बताया कि बड़ी बहन को उल्टी और बुखार की शिकायत थी। चार दिनों तक सुधार नहीं हुआ तो डॉ. अत्रि गुप्ता को दिखाया। उन्होंने अस्पताल में रेफर किया। डीएम के फोन करने पर मेरी बहन को यहां भर्ती किया गया। तब हमें बताया गया कि रोजाना दोपहर दो से चार बजे के बीच सीसीटीवी के जरिए अपनी बहन को देख सकते हैं। हम लोग डेढ़ लाख रुपये जमा करके यहां से चले गए। जब अगले दिन दीदी को देखने आये तो बताया गया कि टीवी खराब है। बन जाने पर सूचित कर दिया जाएगा।पीएम मोदी से शिकायत के बाद डीएम हुए फास्टबहन की बीमारी के बीच ही पहले से बीमार चल रही मां की अस्पताल में 26 अप्रैल को मृत्यु हो गई। मेरे पिता पं. छन्नूलाल लगातार फोन करके बेटी का चेहरा दिखाने की गुहार लगाते रहे। मां के निधन के बाद 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब शोक व्यक्त करने के लिए फोन किया तो मेरे पिता ने दीदी के बारे में उन्हें बताया। तब डीएम के हस्तक्षेप के बाद 28 अप्रैल की रात नौ बजे कांफ्रेंस काल पर पिताजी को दीदी को दिखाया गया। तब दीदी बेड पर बैठी हुई थी। 29 की रात में अस्पताल से फोन आया कि बहुत सीरियस है। हम लोग आननफानन में अस्पताल पहुंचे। रात 11 बजे से ढाई बजे तक अस्पताल के बाहर खड़े रह गए। इस दौरान यही कहा जाता रहा कि डीएम ने कहा है कि बीएचयू से दो डॉक्टर आ रहे हैं मगर रात ढाई बजे कहा गया कि दीदी की मौत हो गई।शव से खून बहने का आरोप,नम्रता मिश्रा ने बताया कि जब हमें शव मिला तो दीदी के नाक और मुंह से खून रिस रहा था। उसी दिन शाम को दीदी की बेटी उनसे मिलने आई। एक घंटे इंतजार के बाद उसे 17 सौ रुपए में पीपीई किट दी गई। इसे पहन कर वह मां के पास गई। दीदी ने उससे कहा वह बहुत कष्ट में हैं लेकिन साथ खड़े व्यक्ति ने आगे बात नहीं करने दी और उसे लेकर नीचे आ गए। उन्होंने कहा कि एक भी रिपोर्ट या दवा का पर्चा हमें आज तक नहीं मिला।अस्पताल ने मांगा चार लाख रुपया,मौत के बाद अस्पताल की ओर से चार लाख रुपए मांगे जा रहे हैं। मैंने जब दवा का हिसाब मांगा तो मेरे ऊपर हंगामा करने का आरोप लगाते हुए पुलिस को सूचना दी गई। उधर जानकारी होने पर डीएम कौशलराज शर्मा ने मामले की जांच के लिए तीन चिकिसकों की टीम का गठन किया है।