धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट /देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. इस दौरान रोजाना बड़ी संख्या में नए कोरोना केस सामने आ रहे हैं. ऐसे में देश में कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण और जांच को लेकर अभियान जारी है. इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने मंगलवार को कोरोना जांच को लेकर नई एडवाइजरी जारी की है. इसमें लैब का दबाव कम करने के लिए आरटी-पीसीआर जांच को कम से कम करने और रैपिड एंटीजन जांच को बढ़ाने की बात कही गई है.आईसीएमआर का कहना है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जांच करने वाली प्रयोगशालाएं बेहद दबाव में काम कर रही हैं. ऐसे में बढ़ते कोरोना केस को देखते हुए जांच के लक्ष्य को पूरा करने में कठिनाई हो रही है. क्योंकि प्रयोगशालाओं का कुछ स्टाफ भी संक्रमित है.. जिन लोगों को एक बार आरटीपीसीआर या रैपिड एंटीजन टेस्ट की जांच में संक्रमण पाया गया था, उनका दूसरी बार आरटीपीसीआर टेस्ट नहीं करना चाहिए. अस्पतालों में कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद छुट्टी के समय मरीजों का टेस्ट करने की आवश्यकता नहीं है.प्रयोगशालाओं में दबाव कम करने के लिए अंतरराज्यीय यात्रा करने वाले स्वस्थ लोगों के आरटीपीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता को पूरी तरह से हटाया जाए. फ्लू या कोविड 19 के लक्षण वाले लोगों को गैर जरूरी यात्रा और अंतरराज्यीय यात्रा करने से बचना चाहिए. इससे संक्रमण का प्रसार कम होगा. कोरोना के सभी गैर लक्षणी लोगों को यात्रा के दौरान कोविड गाइडलाइंस का पालन करना होगा. राज्यों को आरटीपीसीआर टेस्ट को मोबाइल सिस्टम के जरिये बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.रैपिड एंटीजन टेस्ट को बताया फायदेमंद.आईसीएमआर ने अपनी नई एडवाइजरी में कहा है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट को कोरोना टेस्ट के लिए जून 2020 में अपनाया गया था. मौजूदा दौर में यह कंटेनमेंट जोन और कुछ हेल्थ सेंटर पर ही सीमित है. इस टेस्ट का फायदा यह है कि इससे 15 से 20 मिनट में ही कोरोना का पता चल जाता है. ऐसे में मरीज को जल्द ठीक होने में भी मदद मिलती है.रैपिड एंटीजन टेस्ट को सभी सरकारी और निजी हेल्थकेयर फैसिलिटी में अनिवार्य करना चाहिए. शहरों, कस्बों, गांवों में लोगों की बड़े स्तर पर जांच के लिए RAT बूथ लगाए जाएं.. शहरों, गांवों में यह RAT बूथ कई स्थानों पर लगाए जाएं. इनमें स्कूल-कॉलेज, कम्युनिटी सेंटर, खाली स्थानों शामिल हों. ये बूथ 24 घंटे और सातों दिन काम करें. स्थानीय प्रशासन अपने स्तर पर ड्राइव थ्रू बूथ भी शुरू कर सकता है.