प्रिया सिन्हा की रिपोर्ट /देश की राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट जारी है और अब तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने 5 मई, 2021 को ऑक्सीजन संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है। बता दें कि कोर्ट ने केंद्र को यह निर्देश दिया है कि दिल्ली को हर हाल में 700 मीट्रिक टन (एमटी) ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए और इस बारे में योजना 6 मई, 2021 को होने वाली सुनवाई से पहले बताएं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस पर रोक लगा दी है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने तो यह सवाल किया है कि आपने दिल्ली को कितना ऑक्सीजन दिया है। साथ ही केंद्र ने हाईकोर्ट में यह कैसे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को 700 एमटी ऑक्सीजन सप्लाई का आदेश नहीं दिया।
केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि अप्रैल से पहले ऑक्सीजन की मांग ज्यादा नहीं थी, लेकिन अब यह अचानक बढ़ा दी गई है। दिल्ली को 450 एमटी ऑक्सीजन की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को जेल भेजने और अवमानना की कार्यवाही से ऑक्सीजन नहीं मिलेगा, जिसके लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को मिलकर काम करना होगा, आखिर लोगों की जान खतरे में है।
कोर्ट ने आगे कहा कि ऑक्सीजन के भंडारण और इसके इस्तेमाल से संबंधित मुंबई के मॉडल को दिल्ली अपनाती है। अदालत ने केंद्र से यह साफ कहा कि क्यों नहीं वह यह जानकारी सार्वजनिक करती है कि कब तक ऑक्सीजन आ पाएगा और कितना उपलब्ध है। ऐसा करने से लोगों को सहूलियत होगी।
यही नहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के आदेश के मुताबिक ऑक्सीजन मुहैया कराने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं। न्यायाधीशों के रूप में हम उतने लोगों के संपर्क में नही हैं कितने कि आप हैं। लेकिन, मेरे ऑफिस के अधिकारी, वकील रो रहे हैं, मदद मांग रहे हैं।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि – ‘केंद्र की जिम्मेदारी है कि आदेश का पालन करे। नाकाम अफसरों को जेल में डालें या फिर अवमानना के लिए तैयार रहें, लेकिन इससे दिल्ली को ऑक्सीजन नहीं मिल पाएगी, वो काम करने से ही मिलेगी।’ बता दें कि राजधानी में ऑक्सीजन संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी। हाईकोर्ट ने 4 मई, 2021 को ऑक्सीजन संकट के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था और इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और 5 मई, 2021 को ही इस मामले पर सुनवाई करने की अपील की गई। और पिर केंद्र सरकार की अपील पर मामले को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले की सुनवाई की।