कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / अंकु श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से -लड़ो और लड़ते रहो भाई ,हमेशा यही सूत्र भाग्य रहा है.शेषनारायणसिंह जी का .।उम्र में भले ही मुझसे बड़े रहे हो लेकिन हमेशा यारी ,दोस्ती और मस्ती उनकी फितरत थी। टीवी डिबेट में जब भी साथ होते थे तो जो मस्ती वह करते थे ,वह बहुत कम लोग कर पाते हो। प्यार से चिकोटी भी काटते थे और डांटते भी थे। वह चाहे पैनलिस्ट हो या फिर हम सब लोग हों । इस मामले में उम्रदराज होने का फायदा भी उठाते थे।लिखने पढ़ने की बात खूब करते थे। बीते दिनों हम सब के अग्रज रूद्र द्विवेदी जी की पुण्य स्मृति को लेकर वह काफी सक्रिय रहे ।दूसरों की चिंता काफी करते थे।परसों तक प्लाज्मा के लिए परिजन जूझ रहे थे ।जो कोशिश हो सकती थी सब ने की ।पर शायद यही बदा था। उनका जाना एक बड़े भाई का सिर से हाथ उठना समान है। मुझे तो लगता है फेसबुक की वॉल अब एक तरह सेobituary का पन्ना हो गया है ।अभी काफी मुश्किल वक्त है, पता नहीं कब इस अंधेरी रात की सुबह आएगी ?लेकिन शेष भाई आप बहुत याद आएंगे। वरिष्ठ पत्रकार अंकुर श्रीवास्तव ने अपने फेसबुक पेज पर विनम्र श्रद्धांजलि दी, कंट्री इनसाइड न्यूज़ की तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि.