पटना, १० मई। ‘बयाने-क्रौंच ताईर’ नामक संसार की सबसे लम्बी कविता लिखने वाले हिन्दी के यशमान महाकवि काशीनाथ पाण्डेय के विपुल काव्य-साहित्य पर, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा तथा पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में शोध किया जाएगा। दोनों ही विश्वविद्यालयों से शोधार्थी , महाकवि के साहित्य पर पी एच डी प्राप्त कर सकेंगे। जय प्रकाश विश्व विद्यालय, छपरा में हिन्दी के पाठ्यक्रम में उनकी कविताएँ भी सम्मिलित की जाएंगी।
यह घोषणा, रविवार की संध्या, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, कलाकक्ष और साहित्योदय के संयुक्त तत्त्वावधान में, महाकवि के ११वें स्मृति-दिवस पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि और जयप्रकाश विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो फ़ारुख अली ने की। प्रो अली ने कहा कि महाकवि काशीनाथ पाण्डेय जैसे महत्वपूर्ण और महान कवियों से नई पीढ़ी का परिचय कराया जाना आवश्यक है।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक डा विनोद कुमार मंगलम ने महाकवि के साहित्यिक व्यक्तित्व की विशद चर्चा करते हुए घोषणा की कि उनके निर्देशन में होनेवाले शोध में वो दो विद्यार्र्थियों को महाकवि के साहित्य पर शोध का अवसर प्रदान करेंगे तथा उनका सम्यक् मार्ग-दर्शन भी करेंगे।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि पाण्डेय जी अक्षर-ब्रह्म के महान साधक थे। उन्होंने शब्दों की ही नहीं ‘अक्षर’ की भी साधना की। वे अपने समय के अकेले व्यक्ति थे, जिन्हें अक्षरों के भी अर्थ ज्ञात थे। साहित्य सम्मेलन उनके नाम से स्मृति सम्मान भी दिया करता है।
विद्वान समीक्षक डा ब्रजेश पाण्डेय, जुनैद मीर तथा उदय नारायण सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजित काव्य-पाठ प्रतियोगिता में, पटना के रौशन महाराज तथा लखनऊ के अनमोल भास्कर को संयुक्त रूप से प्रथम, शिवानीश्री को द्वितीय तथा पटना की नंदिनी एवं दोहा की सफल कोईराला को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
व्याख्यान-प्रतियोगिता में, पटना की सोनी और सौम्या को प्रथम और दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। काव्य-गान की श्रेणी में, छपरा के वैभव देव तथा पटना के वंश प्रभात को प्रथम स्थान, आशीष मिश्रा को द्वितीय तथा पुणे की अदिति कुमारी को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
इनके अतिरिक्त श्वेता सिंह उमा (मास्को), मोनी विजय (दोहा), निकिता कुसुम तिवारी (क़तर) चंदा स्वर्णकार (जबलपुर) तथा पूनम माहेशरी(ग़ाज़ियाबाद) को विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रतियोगिता से बाहर रहते हुए, युवाकवि एवं कलाकार रविचंद्र पासबां तथा छपरा के लोकगायक रामेश्वर गोप ने भी अपनी प्रस्तुतियाँ दी। आरंभ में आयुर्मान यास्क तथा काशिका पाण्डेय ने महाकवि द्वारा रचित उदबोधन-गीत”अब ना पाखी बोलेगा तो जिया नहीं जाएगा” का गायन किया। कार्यक्रम का संचालन सम्मेलन की कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन युवाकवि प्रखर पूँज ने किया। तकनीकी सहयोग कर रहे थे अविनय काशीनाथ