धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट /वायरस संकट के इस दौर में लड़ाई सिर्फ संक्रमण के खिलाफ नहीं लड़ी जा रही है, बल्कि लड़ाई कई मोर्चों पर है. केंद्र सरकार ने बुधवार को उन खबरों को खारिज किया, जिनमें कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड के B.1.617 वैरिएंट को भारतीय वैरिएंट कहा है. सरकार ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने कभी भी भारतीय शब्द का प्रयोग नहीं किया है. आधिकारिक बयान में कहा गया, “कई सारे मीडिया संगठनों ने खबरें दी हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने B.1.617 वैरिएंट को वैश्विक समुदाय के लिए खतरा बताया है. कुछ खबरों में B.1.617 वैरिएंट को कोरोना वायरस का भारतीय वैरिएंट कहा गया है. ये खबरें आधारहीन हैं और इनका कोई औचित्य नहीं है.” WHO ने ट्विटर पर साझा किए गए अपने बयान में कहा, “विश्व स्वास्थ्य संगठन वायरस के किसी भी वैरिएंट्स को देश के नाम पर रिपोर्ट नहीं करता है. संगठन वायरस के स्वरूप को उसके वैज्ञानिक नाम से संदर्भित करता है और बाकी लोगों से भी ऐसा ही करने की उम्मीद करता है.” दूसरी ओर केंद्र सरकार ने अपने बयान में कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि WHO ने अपने 32 पेज के दस्तावेज में B.1.617 वैरिएंट्स के लिए भारतीय स्वरूप शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है. सच ये है कि रिपोर्ट में किसी भी जगह भारतीय शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है.” संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था आए दिन इसका आकलन करती है क्या कोविड के स्वरूपों में संक्रमण फैलाने और गंभीरता के लिहाज से बदलाव आए हैं या राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा लागू जन स्वास्थ्य और सामाजिक कदमों में बदलाव की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को प्रकाशित साप्ताहिक महामारी विज्ञान विज्ञप्ति में बी.1.617 को चिंताजनक स्वरूप (वीओए) बताया.चिंताजनक स्वरूप वे होते हैं जिन्हें वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है. कोरोना वायरस का मूल स्वरूप पहली बार 2019 के अंतिम महीनों में चीन में देखा गया था. किसी भी स्वरूप से पैदा होने वाले खतरे में संक्रमण फैलने की अधिक आशंका, ज्यादा घातकता और टीकों से अधिक प्रतिरोध होता है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बी.1.617 में संक्रमण फैलने की दर अधिक है.WHO ने कहा, ‘‘प्रारंभिक सबूत से पता चला है कि इस स्वरूप में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ‘बामलैनिविमैब’ की प्रभाव-क्षमता घट जाती है.’’ कोविड-19 का बी.1.617 स्वरूप सबसे पहले भारत में अक्टूबर 2020 में देखा गया. भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और मौतों ने इस स्वरूप की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.डब्ल्यूएचओ द्वारा भारत में स्थिति के हालिया आकलन में भारत में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ने और तेज होने में कई कारकों का योगदान होने की आशंका जताई गई है. इनमें कोविड स्वरूपों के संभावित रूप से संक्रमण फैलाने, धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम, जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक कदमों का पालन कम होना शामिल है.