धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट /अमेरिका के 50 से ज्यादा सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखकर कहा है कि कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत की मदद करना अमेरिकी हित में है. पत्र में कहा गया है कि जब तक भारत में महामारी का प्रकोप रहेगा, वायरस के नए वैरिएंट्स को लेकर आशंका बनी रहेगी, जो टीका लगवा चुके अमेरिकियों के लिए एक खतरे की तरह है. बता दें कि कैलिफोर्निया के कांग्रेस सांसदों के अगुवा ब्रैड शेरमैन ने 12 मार्च को लिखे पत्र में कहा था कि “कोरोना वायरस संक्रमण जहां भी हो, हमें उसके खात्मे के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.” अमेरिका में भारतीय उच्चायुक्त तरणजीत सिंह संधू से बातचीत के आधार पर अमेरिकी सांसदों ने दावा किया है कि भारत को महामारी से लड़ाई में कई चीजों की आवश्यकता है, जैसे ऑक्सीजन, ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले उपकरण, वेटिंलेटर के साथ रेमडेसिविर और तोसिलीजुमैब जैसी दवाएं भी.अपने पत्र में अमेरिकी सांसदों ने कहा है कि सभी भारतीयों का टीकाकरण भी अमेरिका के हित में है और अगर वैक्सीन उपलब्ध हो तो भारत को देने के बारे में सोचना चाहिए. ब्रैड शेरमैन ने कहा है कि अमेरिका के पास लाखों की संख्या में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन है और अमेरिका उसका उपयोग भी नहीं कर रहा है, ऐसे में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को अमेरिका, भारत को उपलब्ध करा सकता है. महामारी तक तक खत्म नहीं होगी, जब तक कि हर जगह से उसे खत्म नहीं किया जाता. अमेरिका द्वारा भारत को दी गई 100 मिलियन डॉलर की मदद को रेखांकित करते हुए सांसदों ने कहा कि ये भारत-अमेरिका की सात दशक पुराने मजबूत संबंधों का प्रतीक है, लेकिन महामारी को मात देने के लिए अमेरिका द्वारा नई दिल्ली को दी गई मदद पर्याप्त नहीं है.अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर अमेरिकी सांसदों द्वारा भारत की मदद के लिए दबाव बनाने का मामला उस समय सामने आया है, जब कोरोना वायरस के B1617 वैरिएंट्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक समुदाय के लिए चिंता का विषय बताया है. B1617 वैरिएंट्स को कोरोना के अन्य स्वरूपों के मुकाबले ज्यादा संक्रामक, प्रतिरोधी और वैक्सीन को भी गच्चा देने वाला करार दिया गया है. जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद की कमान संभालने के बाद अमेरिका की कोशिश अपनी 70 फीसदी आबादी का टीकाकरण करने की है, लेकिन अभी तक अमेरिकी प्रशासन 40 फीसदी आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य को पाने में भी मुश्किलों का सामना कर रहा है.