पटना, १८ मई। आध्यात्मिक संस्था अंतर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के संस्थापक ब्रह्मलीन सदगुरुदेव महात्मा सुशील कुमार एवं सद्ग़ुरुमाता माँ विजया की मूर्तियों के प्रतिष्ठापन का सातवाँ महोत्सव बुधवार को, संस्था के गोला रोड स्थित एम एस एम बी भवन में पूरी सादगी, सैयम और श्रद्धा से मनाया गया। मर्मर प्रस्तर से निर्मित दोनों आसनस्थ मूर्तियों को दूध, दही, मधु, चंदन एवं जल से नहलाया गया और वस्त्राभूषण से अलंकृत कर विधिवत पूजन किया गया।
महोत्सव का आरंभ संस्था के उपाध्यक्ष बड़े भैय्या श्रीश्री संजय कुमार द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके पूर्व मूर्तियों पर कुमार प्रणव तथा रेणु गुप्ता द्वारा माल्यार्पण किया गया। सद्ग़ुरुमाँ की दिव्य उपस्थिति में आह्वान की साधना की गई तथा चरण-प्रच्छालन कर आरती उतारी गई। इसके पश्चात गायत्री-मंत्र और महामृत्युंजय-मंत्र का सामूहिक जप किया गया। लगभग एक घंटे का भजन-संकीर्तन के पश्चात तीन इस्सयोगियों ने अपने भावोदगार व्यक्त किए। इनमे संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ, अनंत कुमार साहू तथा डा सुप्रभा के नाम सम्मिलित हैं।
अपने आशीर्वचन में सद्ग़ुरुमाँ ने कहा कि इस्सयोग एक आंतरिक साधना पद्धति है। अत्यंत सूक्ष्म और त्वरित फलदाई है। प्रत्येक साधक -साधिका को अपने मन को अंतरमुख कर इस्सयोग की साधना से अपनी दिव्य शक्तियों का विकास करना चाहिए। एकांत का प्रत्येक अवसर साधक-साधिकाओं के लिए लाभकारी हो सकता है। इससे लौकिक और पारलौकिक समस्त कष्टों से मुक्त हुआ जा सकता है।
इसके पूर्व अपने उदबोधन में बड़े भैय्या श्रीश्री संजय कुमार ने कहा कि मानव जीवन का लक्ष्य आत्मोन्नति है। गुरु से प्राप्त ज्ञान ही मोक्ष का कारक हो सकता है, जो नियमित साधना का मार्ग अपना कर पाया जाता है।
इस अवसर पर संस्था के संयुक्त सचिव उमेश कुमार, संदीप गुप्ता, नीना दूबे, शिवम् झा, सरोज गुटगुटिया, बीरेन्द्र राय, कृष्ण मोहन राय, किरण झा, प्रभात कुमार, अवध किशोर शर्मा, गायत्री राय, मंजू देवी, रूचि प्रभात झा आदि इस्सयोगी उपस्थित थे।