उमर फारूक की रिपोर्ट /सीबीआई की तरफ से दायर की गई चार्जशीट में बताया गया है कि उन्हें इन चारों राजनेताओं के खिलाफ एक्शन लेने के लिए जरूरी अनुमति नहीं मिली थी. इस चार्जशीट में गिरफ्तार हुए चारों नेताओं पर आरोप तय किए गए हैं. इसके अलावा सीबीआई ने कोर्ट में एक अन्य याचिका दायर कर मामले को बैंकशाल कोर्ट से किसी अन्य अदालत या राज्य में ट्रांसफर करने की मांग की है. इस याचिका में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, टीएमसी नेता मलय घटक और कल्याण बनर्जी को पक्षकार बनाया गया है.केंद्रीय जांच एजेंसी की तरफ से 53 पन्नों की यह चार्जशीट 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं- फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चट्टोपाध्याय की गिरफ्तार के कुछ देर पहले ही सीबीआई की विशेष अदालत में पेश की गई थी.सीबीआई ने अब कथित घोटाले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी के खिलाफ एक याचिका दायर की है. सीबीआई ने 123 पन्नों की याचिका में ममता के करीबी सहयोगी और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी को राज्य के मंत्री मलय घटक के साथ शामिल किया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को मामले में पक्षकार बनाया गया है.सीबीआई ने अदालत को बताया कि मामला 2014 का है और उस दौरान तब टीएमसी में शामिल रहे अधिकारी, मुकुल राय, समेत सत्तारूढ़ दल के नेता सौगत रॉय और काकोली घोष दस्तीदार सांसद थे. ऐसे में उन्हें सक्षम प्राधिकारी से कार्रवाई करने की अनुमति नहीं मिली. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि इसी के चलते इन चारों नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी है. 17 मई को गिरफ्तार किए गए टीएमसी सरकार में दो मंत्री समेत चार नेताओं को लेकर कहा गया कि वे अपराध के वक्त विधानसभा के सदस्य थे. ऐसे में सीबीआई को राज्यपाल जगदीप धनखड़ की तरफ से फिरहाद हाकिम, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी और शोभन चटर्जी के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत मिल गई थी. गिरफ्तारी के बाद विशेष सीबीआई कोर्ट ने चारों नेताओं को जमानत दे दी थी. इसके बाद सीबीआई की तरफ से इस आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. हाईकोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जमानत पर रोक लगा दी थी. बेंच ने कहा था कि इन नेताओं को ‘अगले आदेश तक न्यायिक हिरासत’ में रखा जाए. टीएमसी नेताओं की गिरफ्तार के बाद सीएम ममता बनर्जी समेत कई पार्टी सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया था.