वाराणसी, सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट /गंगा गांव किनारे चयनित 44 गांवों में पौधारोपण करने का वन विभाग मैप तैयार करने जा रहा है। वन विभाग के साथ इन पौधों को देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होगी। ग्राम प्रधान पौधों की खुद निगरानी करने के साथ उसकी प्रगति से वन विभाग को अवगत कराएंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि गंगा किनारे पौधारोपण होने से उन्हें सिंचाई की समस्या नहीं होगी।पहले गंगा किनारे वन विभाग ने पौधारोपण की योजना बनाई थी लेकिन बाद में उसे संशोधित करते हुए ग्राम प्रधान को शामिल कर लिया है जिससे पौधे जिंदा रहे। शासन से वन विभाग को हर साल पौधारोपण करने का लक्ष्य दिया जाता है जिससे हरियाली खत्म नहीं हो, लेकिन ऐसा होता नहीं है। वन विभाग की ओर से हर साल लगाए गए आधे पौधे नष्ट हो जाते हैं। कुछ पौधों को अराजक तत्व तो कुछ को जानवर खा जाते हैं। काफी संख्या में पौधे पानी के अभाव में सूख जाते हैं। इन तमाम परेशानियों को देखते हुए वन विभाग ने गंगा किनारे चयनित गांवों में पौधारोपण करने की योजना बनाई है।वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ग्राम प्रधान से संपर्क कर पूरी योजना को बताएंगे। साथ में यह भी पूछेंगे कि कौन सा पौधा आप प्राथमिकता पर लगाना चाहते हैं। अभी तक वन विभाग ने गुलमोहर, कचनार, अशोक समेत कई प्रजातियों का चयन किया है। यदि ग्राम प्रधान फलदार पौधे लगाने को लेकर सवाल उठाते हैं तो उनसे गांव के बीच जमीन उपलब्ध कराने को कहा जाएगा, क्योंकि गंगा किनारे फलदार पौधे लगाने के साथ उसे चोरी होने की संभावना ज्यादा रहती है। कुछ अराजक तत्व फलदार पौधे चोरी कर लेते हैं। इस तरह के मामले कई बार सामने आएं हैं। प्रभागीय वनाधिकारी महावीर का कहना है कि गंगा किनारे पौधे लगाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जमीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। साथ में उन पौधों की सिंचाई करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।