पटना, २२ मई। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्त्वावधान में इन दिनों संस्कृत बोलना सिखाने का एक अभिनव प्रयोग हो रहा है। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में प्रति दिन संध्या ४ बजे से एक घंटे की संस्कृत-संभाषण कक्षा ऑन लाइन संचालित की जा रही है। इन कक्षाओं में बहुत ही सरल विधि से संस्कृत बोलने का अभ्यास कराया जा रहा है। संस्कृत जैसी गूढ़ मानी जानी वाली भाषा इतनी सरलता से बोली जा सकती है, यह देखकर लोग अचंभित और आनंदित हो रहे हैं। संस्कृतशाला के मुख्य प्रशिक्षक डा मुकेश कुमार ओझा संस्कृत के प्राध्यापक और प्रचारक हैं। इस कार्यशाला में क्या युवा, क्या किशोर, वृद्धजन भी सैकड़ों की संख्या में जुड़कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और स्वयं संस्कृत में नई नई पंक्तियाँ सृजित कर रहे हैं।सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ के अनुसार संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम कुछ इस प्रकार से बनाया गया है कि १० से १२ कक्षाओं में, इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को संस्कृत बोलना और लिखना सिखाया जा सकता है। डा सुलभ ने बताया है कि सम्मेलन के तत्त्वावधान में संस्कृत पाठशाला आरंभ करने का उद्देश्य, आम जन को संस्कृत के विशाल ज्ञान-भंडार से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करना है, जिससे कि ज्ञान और विज्ञान से भरे संस्कृत ग्रंथों को व्यक्ति स्वयं पढ़ और समझ सके। उसे किसी अन्य की व्याख्या पर निर्भर नहीं रहना पड़े। साहित्याकारों के लिए यह और भी लाभकारी इसलिए है कि वे इसके माध्यम से शब्दों के एक विशाल भंडार से जुड़ जाते हैं।कार्यशाला के प्रमुख प्रतिभागियों में स्वयं सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ, उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा ध्रुब कुमार, पूनम आनंद, डा अर्चना त्रिपाठी, कुमार अनुपम, डा शालिनी पाण्डेय, डा मीना कुमारी, डा जे बी पाण्डेय, हिमकर श्याम, आराधना प्रसाद, पं सियाराम ओझा, नंदिनी प्रनय, अंकेश कुमार, डा प्रतिभा सहाय, इन्दु उपाध्याय, सत्या शर्मा कीर्ति, विभा रानी श्रीवास्तव, डा मोनिका शर्मा, प्रदीप कुमार दाश, वीणाश्री हेम्ब्रम, डा प्रमिला मिश्र, ऋतुराज श्रीवास्तव, ममता मिश्र आदि के नाम सम्मिलित हैं। कार्यशाला में तकनीकी सहयोग युवाकवि नेहाल कुमार सिंह निर्मल तथा अमित कुमार सिंह दे रहे हैं।