धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट . देश में जारी कोविड टीकाकरण के बीच कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जहां एक ही व्यक्ति को दो अलग अलग वैक्सीन दे दी गई हैं. ऐसे मामले सामने आने के बाद ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या एक व्यक्ति को इस तरह से वैक्सीन लगाना सही है या नहीं अब सरकार ने खुद इस बारे में जवाब दिया है. नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा है कि ऐसा संभव हो सकता है. पॉल ने कहा कि “अगर आप मुझसे पूछते हैं कि कि किसी व्यक्ति को पहली डोज किसी और वैक्सीन की लगी है तो क्या वह दूसरी डोज में कोई अन्य वैक्सीन लगवा सकता है. वैज्ञानिक और तथ्यात्मक रूप से यह संभव है. लेकिन ऐसा सुझाव कई अध्ययन करने के बाद दिया जा सकता है. इसके लिए कोई वैज्ञानिक तथ्य सामने नहीं आया है, सिर्फ समय के साथ ही यह पता चल सकता है.”पॉल ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय स्टडी के बाद ही पता चल सकता है. हमारे एक्सपर्ट्स लगातार स्टडी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “किसी वैक्सीन की एक डोज एंटीबॉडी बनाती है और किसी दूसरी वैक्सीन की दूसरी डोज उसे बढ़ाती है. वैज्ञानिक तौर पर, इसमें कोई समस्या नहीं है.”कोविशील्ड और कोवैक्सिन वो दो वैक्सीन हैं, जिन्हें लोगों को देश में लगाया जा रहा है. दोनों ही वैक्सीन की दो डोज लोगों को लगाई जा रही हैं. इन वैक्सीन की दूसरी डोज को बूस्टर डोज भी कहा जाता है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी कई एडवायजरी में बार-बार यह चेतावनी दी है कि किसी वैक्सीन की दूसरी डोज के तौर पर वही वैक्सीन लगवाएं, जिसकी पहली डोज लगी हो.जिस स्टडी में यह कहा गया कि दोनों वैक्सीन को मिलाकर लगवाया जाना भी सुरक्षित है, उसे 2600 लोगों पर किया गया था. और इस दौरान दो अलग-अलग कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया गया था. एक प्रयोग में लोगों को एक डोज ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का और दूसरा डोज फाइजर वैक्सीन का दिया गया था. दूसरे प्रयोग में लोगों को एक डोज मॉडेर्ना का और दूसरा डोज नोवावैक्स का आजमाया गया था.इस ट्रायल का मकसद यह जानना था कि दो अलग-अलग वैक्सीन का लगना कोविड पर कारगर है या नहीं. इस दौरान लोगों की प्रतिरोधक क्षमता का टेस्ट किया गया और पाया गया कि वैक्सीन के बुरे प्रभाव ज्यादा देर नहीं रहे.