पटना, २६ मई। हिन्दी और बांगला के सुख्यात कवि रविघोष एक भाव-संपन्न सुकवि थे। ऐतिहासिक स्त्री पात्र सालवती पर लिखित उनकी प्रबंधकृति ‘सालवती’ ने साहित्य समाज का ध्यान विशेष रूप से खींचने में सफल रही। इस प्रबंध-काव्य में उनकी साहित्यिक प्रतिभा प्रस्फुटित होती दिखाई देती है। इसके पूर्व ब्रिटेन की राजकुमारी ‘डायना’ पर केंद्रित उनके काव्य-संग्रह ने साहित्य समाज से उनका परिचय कराया था। फिर ‘प्रियतम जिनके शहीद हुए’ काव्य-संग्रह ने उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाई। उनकी अन्य कृतियाँ प्रकाशनाधीन थी। वे साहित्य सम्मेलन से गहरे जुड़े हुए थे। उनके निधन से साहित्य समाज को गहरा आघात लगा है। एक बड़ी क्षति पहुँची है, क्योंकि उनकी लेखनी थमी नहीं थी। वे निरंतर लिख रहे थे।यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा बुधवार की संध्या ऑनलाइन आयोजित शोक-गोष्ठी में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि उनका पूरा परिवार कोरोना से ग्रस्त हो गया था। पहले उनकी पत्नी सुशीला रानी घोष कोरोना का ग्रास बनीं और फिर वे स्वयं। पत्नी का निधन पटना के एक निजी अस्पताल में, गत २४ अप्रैल को तथा उनका २८ अप्रैल को हुआ। वे ८७ वर्ष के थे। उनका ज्येष्ठ पुत्र अभी भी अस्पताल में हैं। पूरे परिवार के संकट में होने के कारण, उनके निधन की सूचना भी कल हो पाई।सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त ने कहा कि हम दोनों का जन्म दिवस एक ही था १ सितम्बर, और हम दोनों एक साथ ही वर्षों से अपना जन्म दिवस साथ मनाते आ रहे थे। आगे अब ऐसा कभी नहीं हो सकेगा। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा कल्याणी कुसुम सिंह, प्रधान मंत्री डा शिव वंश पाण्डेय, साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी, स्व घोष के पुत्र आशीष घोष, डा कुमार अरुणोदय, डा आर प्रवेश, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, भगवती प्रसाद द्विवेदी, डा पल्लवी विश्वास, डा जंग बहादुर पाण्डेय, पूनम आनंद, आरपी घायल, डा शालिनी पाण्डेय, डा अर्चना त्रिपाठी, प्रणब समाजदार, डा सुलक्ष्मी कुमारी, पूनम देवा, नम्रता कुमारी, कुमार अनुपम, डा लक्ष्मी सिंह, प्रवीर पंकज, डा पुष्पा जमुआर, डा ध्रुब कुमार, अर्चना सिन्हा, आरती कुमारी, इन्दु उपाध्याय, डा मीना कुमारी, राज किशोर झा, डा उषा रानी जायसवाल, डा प्रतिभा सहाय आदि ने भी अपनी भावांजलि अर्पित की।