प्रिया सिन्हा की रिपोर्ट /हालांकि बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवाती तूफान यास अब थम चुका है पर इसको लेकर सियासी बंगाल की राजनीति आज भी कायम है।
बता दें कि बंगाल की ममता बनर्जी और केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को लेकर आमने-सामने आ खड़े हुए हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को 31 मई, 2021 की सुबह 10 बजे दिल्ली आकर रिपोर्ट करना था, लेकिन ममता सरकार ने उन्हें रिलीव ही नहीं किया।
गौरतलब है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम चिट्ठी लिख कहा कि – ‘फैसले पर फिर से विचार करें’ …
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है। और तो और ममता बनर्जी ने मोदी को भेजे पत्र में यह साफ कहा है कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के एकतरफा आदेश से स्तब्ध और हैरान हूं। केंद्र का आदेश एकतरफा है। और इसी के साथ अधिकारियों के सेवा के नियमों का उल्ल्घंन भी है। इसे लेकर राज्य सरकार से पहले कोई बात नहीं हुई है।
ममता बनर्जी ने अपने पत्र में यह कहा है कि कोरोना संकट के इस मुश्किल वक्त में अपने मुख्य सचिव को रिलीव नहीं कर सकती है। मुख्य सचिव को 24 मई को सेवा विस्तार की अनुमति देने और उसे चार दिन बाद के आपके एकपक्षीय आदेश के बीच आखिर क्या हुआ, यह बात समझ में नहीं आई है। ममता बनर्जी ने आगे लिखा कि यह एकतरफा आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व तथा पूरी तरह से असंवैधानिक है।
बताते चलें कि ममता ने कहा है कि – “मुझे आशा है कि नवीनतम आदेश (मुख्य सचिव का तबादला दिल्ली करने का) और कलईकुंडा में आपके साथ हुई मेरी मुलाकात का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि संघीय सहयोग, अखिल भारतीय सेवा तथा इसके लिए बनाए गए कानूनों के वैधानिक ढांचे का आधार स्तंभ है।”
इसी के साथ ममता ने अनुरोध किया कि केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद मुख्य सचिव का कार्यकाल एक जून से अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने जो आदेश दिया था, उसे ही प्रभावी माना जाए।