प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट / देश में बड़े स्तर पर वैक्सीन का अभियान भी चल रहा है. इस टीकाकरण अभियान को सरकार अब दूरदराज के इलाकों तक आसानी से पहुंचाने की भी योजना पर काम रही है. इसके तहत अब सरकार देश के उन सुदूर इलाकों में अनमैंड एरियल व्हीकल यानी ड्रोन के जरिये कोरोना वायरस की वैक्सीन पहुंचाने की योजना बना रही है, जहां के रास्ते दुर्गम हैं या जहां पहुंचना कठिन है. आईआईटी कानपुर की ओर से किए गए शोध में ऐसा संभव कहा गया है. देश में सरकार के लिए कोरोना वैक्सीन खरीदने का काम सरकारी कंपनी एचएलएल लाइफकेयर करती है. इसकी सहायक कंपनी एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेड ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से देश के दुर्गम इलाकों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के लिए 11 जून को निविदाएं आमंत्रित की हैं. अभी सिर्फ तेलंगाना ही ड्रोन के जरिये कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के आइडिया पर काम कर रहा था.दुर्गम इलाकों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के लिए देखे जा रहे इन ड्रोन के बारे में आईसीएमआर भी पूरा अध्ययन कर चुका है. इसके अंतर्गत इस काम के लिए वो ड्रोन इस्तेमाल होंगे, जो 35 किलोमीटर तक जा सकें. साथ ही 100 मीटर की ऊंचाई तक उड़न भर सकें. न्यूज18 के पास इस संबंध में दस्तावेज की कॉपी है, जो बताता है कि 22 जून तक इसके लिए बोलियां मंगाई गई हैं.आईसीएमआर ने आईआईटी-कानपुर के साथ मिलकर इस संबंध में एक शोध किया है. इसमें उसने यह देखा कि क्या ड्रोन के जरिये देश के दुर्गम इलाकों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाई जा सकती है. ड्रोन आसमान में सीधे उड़ान भरने और 4 किलोग्राम वजनी सामान ले जा सकने में सक्षम होंगे. इसके साथ ही ये वैक्सीन को तय सेंटर पर पहुंचाकर वहां से वापस स्टेशन या केंद्र पर आने में भी सक्षम होंगे. ड्रोन की टेक ऑफ और लैंडिंग डीजीसीए की गाइडलाइंस पर आधारित होगी.