पटना, १६ जून। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के कला विभाग, संगीत और कला की अग्रणी संस्था कलाकक्ष और पर्यावरण-संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध युवाओं की संस्था ‘तरुमित्र’ के संयुक्त तत्त्वावधान में, आयोजित एक सप्ताह के ‘सांगितिक पावस शिविर’ के चौथे दिन बुधवार को प्रशिक्षुओं को मूक अभिनय और भरतनाट्यम सहित संगीत की अन्य विधाओं में प्रशिक्षण दिया गया। आज के लिए विशेष व्यक्तित्व के रूप में आकाशवाणी और दूरदर्शन से वर्षों तक जुड़ी रहीं सुप्रसिद्ध संचारविद और पूर्व केंद्र निदेशक डा रत्ना पूरकायस्थ उपस्थित रहीं।आरंभ में अपने विचार रखते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने प्रसन्नाता व्यक्त की कि भासिक रूप से संचालित किए जा रहे इस अत्यंत मूल्यवान शिविर से घरों में बैठे बच्चों को न केवल एक छत्र के भीतर कला की अनेक विधाओं में प्रशिक्षण मिल रहा है, अपितु उनका मनोरंजन और ज्ञान वर्द्धन भी हो रहा है।शिविर में आज मूक अभिनय और भरत-नाट्यम का प्रशिक्षण आयुर्मान यास्क ने दिया। कलागुरु पं अविनय काशीनाथ ने तुलसीदास कृत ‘श्री रामचंद्र कृपालु भज मन’ का गायन तथा मंत्रोच्चार का प्रशिक्षण दिया। नृत्याचार्या डा पल्लवी विश्वास ने कत्थक नृत्य में अवतरण,सलामी और कवित्त गतभाव में छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित किया।आरंभ में ‘अगड बम, अगड़ बम, बाजे डमरू’ का सभी प्रतिभागियों ने समवेत गाकर कर किया। तरुमित्र की अधिकारी देवप्रिया दत्त, काशिका पाण्डेय समेत दर्जनों प्रतिभागी प्रशिक्षुओं ने शिविर का आनंद उठाया। कार्यक्रम के अंत में रमा सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।