माँ के गर्भ से मानव का जन्म होता है । गर्भ में यह आवेष्ठित द्रव्य के रूप में रहता है । उसी तरह हिमालय के गर्भ से गंगा का जन्म हुआ है और यह भी गर्भ में दबावयुक्त द्रव्य { जल } के रूप में विराजमान थी । मानव का एक जन्मदिन होता है , उसी तरह ‘ गंगा-दशहरा ‘ गंगा का जन्म-दिन है । इसी दिन गंगा ने जन्म लिया था । इसका आकार छोटा था , पेट , हाथ आदि छोटे थे । उसने धीरे धीरे बढ़ना आरम्भ किया और इसके सम्पूर्ण शरीर का निर्माण हुआ । यह जन्मदिन आज भी मनाया जाता है । यह मुख्यतः ‘ जून ‘ महीने होता है । नदी का आकार , चौड़ाई और गहराई कम रहती है । जन्म दिन से जैसे एक बच्चा बढ़ने लगता है , उसी प्रकार गंगा भी फैलने लगती है , उसका वेग बढ़ने लगता है तथा जल में आॅक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगती है । गंगा और मानव की यह अवस्था यह मांग करती है कि ये प्रदूषण रहित हों ।वाराणसी शिव की नगरी काशी से वरिष्ठ संपादक सिया राम मिश्र के साथ कैमरामैन शिवेष द्विवेदी की रिपोर्ट ।