पटना, १६ जून। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के कला विभाग, संगीत और कला की अग्रणी संस्था कलाकक्ष और पर्यावरण-संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध युवाओं की संस्था ‘तरुमित्र’ के संयुक्त तत्त्वावधान में, आयोजित एक सप्ताह के ‘सांगितिक पावस शिविर’ के पाँचवे दिन गुरुवार को, ‘कहो न प्यार है’ और ‘क़ृष’ जैसी अनेक सुपर हिट फ़िल्मों के मशहूर गीतकार विजय अकेला बाच्चों के सामने हुए। देश भर से जुड़े ३० से अधिक प्रशिक्षु बच्चों उन्होंने न केवल अपने गीत सुनाए, बल्कि उन्हें जीवन की नसीहतें भी दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि, इस शिविर के माध्यम से बच्चे न केवल नृत्य-संगीत ही सीखेंगे, बल्कि बातचीत का ढंग, व्यक्तित्व विकास, भाषा-ज्ञान, जीवन जीने की कला और अपनी उत्तरदायित्व को समझना भी सीखेंगे।
इसके पूर्व साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने शिविर में श्री अकेला का स्वागत करते हुए, उन्हें बिहार की साहित्यिक विभूति बताया। उन्होंने कहा कि इस पावस शिविर के माध्यम से ये बच्चे संसार को इस बात का भी संदेश दे रहे हैं कि, कोरोना की इस भयानक आपदा में भी संसार में जीवन के प्रति आशा और विश्वास शेष है। ये हंसते-खेलते सीखते हुए बच्चे प्रेम और प्राण का संचार कर रहे हैं। जीवन के प्रति महान अनुराग का परिचय दे रहे हैं।शिविर में पं अविनय काशीनाथ, नृत्याचार्या डा पल्लवी विश्वास तथा आयुर्मान यास्क ने मूक अभिनय में विभिन्न रसों सहित, भरत-नाट्यम,गायन आदि का प्रशिक्षण दिया। देवप्रिया दत्त, काशिका पाण्डेय समेत, दिल्ली, कोलकाता, रिहंद और बिहार के विभिन्न ज़िलों से दर्जनों प्रतिभागी प्रशिक्षु शिविर में भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में रमा सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।