जून 19, 2021। सातवें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के पूर्व पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित योग सप्ताह के पांचवें दिन भी ज्ञान-गंगा प्रवाहित होती रही। कार्यक्रम संयोजक पूज्य स्वामी परमार्थदेव जी महाराज ने विद्वान् वक्ताओं का परिचय कराते हुए प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। परिचर्चा का प्रारम्भ योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डाॅ. संजय सिंह जी के व्याख्यान से हुआ। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के संदर्भ में प्रसन्नता को प्राप्त करने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। वैदिक गुरुकुलम् के संन्यासी स्वामी यज्ञदेव जी ने यज्ञ की लाइव प्रस्तुति के साथ कोरोना सहित विभिन्न जीवाणुओं-विषाणुओं से उत्पन्न होने वाली व्याधियों की चिकित्सा हेतु यज्ञ चिकित्सा को लाभकारी बताया।संगोष्ठी में आहार-से आरोग्य विषय पर बोलते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलसचिव डाॅ. प्रवीण पुनिया जी ने आरोग्य के तीन उपस्तम्भ-आहार, निद्रा, ब्रह्मचर्य की चर्चा की तथा प्रतिभागियों को हितभुक, मितभुक एवं ऋतभुक आहार लेने हेतु प्रेरित किया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डाॅ. सत्यप्रकाश पाठक जी ने वैदिक परिप्रेक्ष्य में योग चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी (सेवानिवृत्त) एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के परीक्षा नियन्त्रक श्री वी.सी. पाण्डेय जी ने प्रशासन में योग एवं अध्यात्म की उपयोगिता को गीता, रामायण, वेद के सूत्रों का संदर्भ देते हुए समझाया तथा समाज सेवा हेतु युवाओं को प्रेरित किया।पंचम दिवस की परिचर्चा को जर्मन यज्ञ एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वैज्ञानिक प्रो. अलरिच बर्क जी ने संबोधित करते हुए अग्निहोत्र एवं योग को जीवन का मूल आधार बताया तथा वेबिनार से जुड़े हुए प्रतिभागियों को नियमित रूप से संक्षिप्त यज्ञ करने की प्रेरणा दी। जीव विज्ञान विभाग के सह. प्राध्यापक डाॅ. विनय जी ने कोविड-19 के पश्चात् उत्पन्न हुए विकारों के लिए योग एवं आयुर्वेद की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में पतंजलि गुरुकुलम् एवं वैदिक गुरुकुलम् के विद्यार्थियों एवं ब्रह्मचारियों ने योग एवं मलखम्भ का आश्चर्यजनक प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन योग विभाग की सहायक आचार्या डाॅ. आरती यादव जी ने किया।