धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट /युवा नेता हार्दिक पटेल ने 2019 लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था. जुलाई 2020 में उन्हें गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. इस साल की शुरुआत में गुजरात में हुए निकाय चुनावों में हुई पार्टी की बुरी हार के बाद राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने इस्तीफा दे दिया था. उनके साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता परेश धनानी ने भी इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद ही कई अन्य सीनियर नेता शीर्ष पदों के लिए जुगत में लगे हुए हैं. लेकिन इन सबके बीच बीते एक साल से कार्यकारी अध्यक्ष पद पर काबिज हार्दिक पटेल खुद को पार्टी में ‘अकेला’ पा रहे हैं. हार्दिक पटेल का कहना है कि इस साल मई महीने में कोरोना की वजह से उनके पिता की मौत के बाद कांग्रेस का कोई नेता मिलने नहीं पहुंचा. वो कहते हैं-पिता की मृत्यु के बाद मेरी पार्टी और अन्य पार्टियों के नेताओं ने सांत्वना कॉल तो किए लेकिन कांग्रेस का कोई नेता मेरे घर नहीं आया. इससे पहले फरवरी महीने में भी हार्दिक पटेल ने कहा था-ऐसा लगता है कि पार्टी के कुछ सीनियर नेता मुझे पीछे खींचना चाहते हैं. स्थानीय चुनावों में भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हार्दिक पटेल की एक भी सभा नहीं रखी थी.जब उनसे पूछा गया कि क्या 2022 विधानसभा चुनावों के मद्देनजर वो कोई जिम्मेदारी उठाना चाहेंगे तो उन्होंने जवाब दिया-इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. अगर पांचों अंगुलियां साथ आएंगी, तभी मुट्ठी बनती है. इस तरीके से मेरी मौजूदगी से पार्टी में मजबूती आएगी. मुझे कोई पद या पावर नहीं चाहिए. मैं सिर्फ काम करना चाहता हूं जिससे अपने लोगों की सेवा कर सकूं.पार्टी के भीतर ‘अकेलेपन’ को लेकर उन्होंने कहा-देखिए मेरा परिवार (पार्टी) बड़ा है और हर परिवार की तरह यहां भी नोक-झोंक चलती रहती है. अगर पार्टी चाहती है कि 250 किलोमीटर लंबी यात्रा करूं तो मुझे ऐसा करने में खुशी होगी. इस वक्त मैं ग्रामीण इलाकों पर फोकस कर रहा हूं. मेरी टीम ग्रामीण इलाकों में कृषि और रोजगार से जुड़े मसलों पर ध्यान दे रही है. कोरोना के दौरान हर गांव में 10-15 मौतें हुई हैं. पूरे राज्य में 16 हजार गांव हैं. आप महामारी के दौरान हुए विध्वंश का अंदाजा लगा सकते हैं.स्थानीय चुनावों में आम आदमी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया है. हाल में जब अरविंद केजरीवाल अहमदाबाद पहुंचे थे तब ऐसी अटकलें थीं कि हार्दिक पटेल आप ज्वाइन कर सकते हैं. इस पर पटेल कहते हैं-देखिए ये बीजेपी की चाल है. जब भी उन पर दबाव पड़ता है या फिर विपक्ष एकजुट दिखता है तो वो भ्रम फैलाना शुरू कर देते हैं.