डॉ. संजीव सिंह, पोलिटिकल एडिटर /आज के दिन मोगा पंजाब में प्रतिदिन की तरह प्रातः 6 बजे नेहरू पार्क ( वर्तमान नाम शहीदी पार्क ) में चल रही संघ की शाखा में आतंकवादियो ने गोलियां चलाकर 25 से अधिक स्वयंसेवको की हत्या तथा 50 से अधिक स्वयंसेवको को गम्भीर रूप से घायल कर दिया ।आतंकवादियो की यह कार्यवाही एक तरफ तो पंजाब में संघ कार्य को बन्द करने की धमकी थी तो दूसरी ओर पूरे देश में हिन्दू सिक्ख को आपस में लड़ाने की थी परंतु संघ के अधिकारियो की समझदारी से ऐसा ना हो सका ।अगले दिन फिर उसी स्थान पर शाखा लगी 100 से अधिक स्वयंसेवक आये तथा हर हाल में शाखा लगाते रहने का संकल्प लिया । पूरे देश की सभी शाखाओ में इसकी जानकारी देकर बलिदानी स्वयंसेवको को श्रधांजलि दी गयी । देश में शांति रही । आतंकवादियो के मनसूबे असफल हो गए । देश की एकता और अखण्डता के लिए मोगा के स्वयंसेवको के बलिदान की प्रेरणा आज भी देश भर के स्वयंसेवक ले रहे है ।आज उसी स्थान पर उनका स्मृति मन्दिर बना है तथा देश भर से लोग आकर वहां अपनी श्रद्धा प्रकट करते है । हर वर्ष उनकी स्मृति में श्रधांजलि कार्यक्रम आयोजित किया जाता है । पुनः बलिदानी स्वयंसेवको को शत शत नमन। चंगुल से लोकतंत्र को निकालने मे आर.एस.एस. का योगदान-आपातकाल लागू होने की पृष्ठभूमि का संक्षेप में जिक्र जरूरी है।तब क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा जय प्रकाश नारायण ने कुछ माह से व्याप्त भ्रष्टाचार,शासकीय प्रशासकीय दुरावस्था आदि के विरुद्ध संपूर्ण क्रांति के उद्घोष के साथ लोक संघर्ष समिति का तत्वाधान मे जनान्दोलन शुरू कर रखा था जिस की बिहार,गुजरात,उत्तर प्रदेश तक सीमित था।हलांकि इसको कांग्रेस, सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल, सी.एफ.डी और जनसंघ आदि का वैचारिक समर्थन प्राप्त था।तब इस आंदोलन को देशव्यापी बनाने की जरूरत महसूस करते हुए एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कृष्णकांत ने जनसंघ नेता अटल बिहारी वाजपेयी से कहा कि वह इस संघर्ष को सक्रिय समर्थन देने के लिए आर.एस.एस. नेतृत्व को राजी करें क्योंकि यह आदेश केवल आर.एस.एस. संगठन ही पूरा कर सकता है।यह बात अभी बीच में ही थी कि 25 जून 1975 की रात को अचानक इन्दिरा गांधी ने आपात स्थिति लागू कर दी,समाचार पत्रों पर सैंसर बिठा दिया और आर.एस.एस. समेत सभी विरोधी दलों के हजारों नेताओं और कार्यकर्ताओं को मीसा और डी.आई.आर. जैसे कानून के अधीन गिरफ्तार कर लिया गया।4 जुलाई को आर.एस.एस. पर प्रतिबंध भी लगा दिया।इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू करने का तुरंत कारण बनी 25 जून की दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई अभूतपूर्व रैली जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। इससे इंदिरा गांधी हिल गई और रैली के कुछ घंटे बाद ही आपात स्थिति लागू कर दी। यहाँ से शुरू हुआ आपातकाल विरोधी संघर्ष में आर.एस.एस. का सक्रिय योगदान जो यदि न होता तो शायद वास्तविक लोकतंत्र दशकों बहाल न होता।25 जून की रात को ही आपातकाल लागू किये जाने की भनक मिलते ही अपनी गिरफ्तारी से पहले जय प्रकाश नारायण ने आर.एस.एस. के वरिष्ठ प्रचारक नानाजी देशमुख को लोक संघर्ष समिति का सचिव पद संभालने तथा आपातकाल के विरुद्ध हर आवश्यक कार्रवाई का अधिकार दे दिया था।अप्रकाशित रूप से आपातकाल लागू होने और विरोधी दलों के हजारों कार्यकर्ताओं के गिरफ्तारी के कारण सभी दलों का अस्तित्व न के बराबर रह गया था।साथ ही जनता में दहशत फैल गई थी।नाना जी देशमुख के नेतृत्व में आर.एस.एस. ने लाखों स्वयंसेवकों के साथ अंडरग्राउंड रहकर एक तो देशभर में संपर्क तंत्र स्थापित किया,जनता का मनोबल बढ़ाया तथा लोक संघ समिति द्वारा संघर्ष संबंधी सभी समाचार जनता तक पहुंचने के लिए खुफिया समाचार बुलेटिन देशभर में छापे और वितरित कर देशभर में सैंसरशिप को बेअसर कर दिया।संक्षेप में आर.एस.एस. के योगदान का अनुमान इन तथ्यों से लगाया जा सकता है कि 25 जून की रात और अगले चंद सप्ताह में आर.एस.एस. के लगभग 76 हजार स्वयंसेवक व अधिकारी मीसा व डी.आई.आई. के तहत पकड़ें गए और 80 हजार स्वयंसेवकों ने नवंबर 1975 में हुए सत्याग्रह में गिरफ्तारी दी थी।70 स्वयंसेवक प्रशासन की यातनाओं के कारण जेल में दम तोड़ गए थे या रिहा होने के कुछ दिन बाद चल बसे थे।* इस तथ्य का सत्यापन आपातकाल की समाप्ति के बाद 1977 में बनी जनता पार्टी सरकार द्वारा आपातकाल की जांच के बारे में गठित शाह कमिशन रिपोर्ट में हुआ जिसके अनुसार उस दौर में सभी दलों और आर.एस.एस. के गिरफ्तार सदस्यों में 60 प्रतिशत संघ कार्यकर्ता थे – –