सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट मेरठ -नोयडा से / एक दिन वतन की मिट्टी उसे खींच लाती है. आज हम आपको यूपी के ऐसे शख्स की कहानी बता रहे हैं, जिनकी कहानी कुछ-कुछ ऐसी ही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रेरणा लेकर यह शख्स वतन की माटी से तिलक कर चुके हैं और अब उनका ज़िला पंचायत अध्यक्ष के तौर पर ‘राजतिलक’ होने वाला है. विदेश से स्वदेश लौटने तक की इनकी हैरान करने वाली कहानी है. मेरठ के भावी ज़िला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी की. गौरव चौधरी वर्षों से जर्मनी में अपना व्यापार कर रहे थे. एकाएक उनकी दुनिया ऐसी बदली कि खुद वह भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि जर्मनी से मेरठ के अपने गांव लौटे गौरव ने पहले ज़िला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और जीते. अब उनका ज़िला पंचायत अध्यक्ष भी बनना तय है. मेरठ में उनके सामने अब कोई भी प्रत्याशी मुकाबले में नहीं है. गौरव चौधरी मेरठ जिले के मूल निवासी हैं. अभी उनकी उम्र महज 33 साल ही है. वह करीब एक दशक से जर्मनी में रहकर बिजनेस कर रहे थे. अचानक उन्होंने फैसला किया कि मेरठ आकर कुछ किया जाए. पंचायत चुनाव से ठीक पहले वह वतन लौटे. गांव आए तो लोगों की मदद शुरू कर दी. उसके बाद उन्होंने जिला पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया. वार्ड-18 से चुनाव की तैयारी शुरू की. भाजपा से टिकट की दावेदारी की तो कुछ स्थानीय नेताओं ने विरोध भी किया. बावजूद इसके भाजपा में एंट्री के साथ टिकट मिल गई. उन्होंने फैसला किया कि अब वह जि़ला पंचायत सदस्य पद का चुनाव जीतकर जनता की सेवा करेंगे.गौरव का कहना है कि जो सुख अपनी माटी में है वह विदेश में नहीं. उनका जर्मनी में अच्छा बिजनेस है. बावजूद इसके वह जिला पंचायत के चुनाव में उतरे. चुनाव लड़ा और गौरव चौधरी जिला पंचायत सदस्य बन गए. बिजनेसमैन से जिला पंचायत अध्यक्ष बने गौरव चौधरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदर्श मानते हैं. 33 साल के गौरव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की छवि को समूचे विश्व में बदलकर रख दिया है. विदेशों में भारतीयों का सिर गर्व से ऊंचा उठ गया है. गौरव का फैमिली बैकग्राउंड हाईप्रोफाइल होने की वजह से उनके चुनाव लड़ने की खबर इलाके में चर्चा का विषय बनी. गौरव की पढ़ाई लिखाई कुरुक्षेत्र में हुई. वह बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद जर्मनी चले गए. वहीं पर इंपोर्ट, एक्सपोर्ट और कंस्ट्रक्शन का काम शुरू किया. उनके स्वदेश लौटने को सभी अपने अपने नज़रिए से देखते हैं.गांव से लेकर जिले तक का विकास करने की चाहत.गौरव का कहना है कि वह जर्मनी में रहते भले ही थे, लेकिन गांव की मिट्टी को कभी नहीं भूले. साल में दो बार गांव जरूर आते रहे. गांव में कई साल से अपने दादा चौधरी भीम सिंह मेमोरियल ट्रस्ट नाम से संस्था चला रहे हैं. ट्रस्ट के माध्यम से जरूरतमंद बच्चों की मदद करते रहते हैं. जर्मनी में रहते हुए अपने गांव समाज के लिए कुछ करना चाहते थे. इसी जज्बे ने उन्हें जिला पंचायत का पहले सदस्य बनाया. अब अध्यक्ष बनाकर जिले की सेवा का मौका दिया है. उनका कहना है कि जीत के साथ अब जिम्मेदारी बढ़ गई है. वह चाहते हैं कि युवाओं के लिए रोजगार और गरीब तबके की सभी जरूरतें पूरी की जाएं. गांव से लेकर जिले तक का विकास हो.