कौशलेन्द्र पाराशर पटना से /पार्टी में उठे भूचाल को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू कर दी गई है। जिसकी जिम्मेदारी एक बार फिर से पार्टी के कद्दावर नेता ललन सिंह ने उठाई है।मोदी कैबिनेट में जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह को शामिल किये जाने के बाद से पार्टी में उठे भूचाल को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू कर दी गई है। जिसकी जिम्मेदारी एक बार फिर से पार्टी के कद्दावर नेता ललन सिंह ने उठाई है। उन्होंने साफ कह दया है कि उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने का असंतोष नहीं है। इस दौरान ललन सिंह उपेंद्र कुशवाहा से मिलने के लिए उनके आवास पर भी गए. जिसके बाद से बिहार की राजनीति में नई चर्चा शुरू हो गई है। ललन सिंह ने कहा इस दौरान साफ कर दिया कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है। उन्होंने खुद को मंत्री पद से वंचित किए जाने के सवाल पर कहा कि उन्हें इसका कोई अफसोस नहीं है। ललन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही कह दिया था कि जदयू अध्यक्ष को इसके लिए अधिकृत किया गया था, वह ही बात कर रहे थे। इसलिए अंतिम फैसला उन्हीं के लेना था।पार्टी अध्यक्ष को लेकर भी चर्चा.आरसीपी सिंह की नई दिल्ली कूच के बाद अब चर्चा जदयू अध्यक्ष को लेकर कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए है। बिहार की राजनीति में चर्चा तेज है कि उपेन्द्र कुशवाहा को जदयू का नया अध्यक्ष बताया जा रहा है। वहीं ललन सिंह को भी दावेदार बताया जा रहा है। ऐसे में शुक्रवार को दोनों नेताओं की मुलाकात भी कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रही है। माना जा रहा है कि ललन सिंह का अचानक उपेंद्र कुशवाहा के घर जाना जदयू की सियासत में नई पटकथा लिखने की तैयारी है।