प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट /कोरोना वायरस के मामलों के कम होने के बीच बड़ी संख्या में लोगों के बाजारों का रुख करने, सार्वजनिक और पर्यटन स्थलों की ओर जाने तथा कोविड से बचाव के नियमों का पालन नहीं करने पर विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संक्रमण को नियंत्रित करने में समाज की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और लोग खतरे को नहीं देख पा रहे हैं. जनता के रवैये में बदलाव के लिए सरकार में उनका भरोसा अहम होता है, लेकिन दुर्भाग्य से देश में लोगों का राजनीति पार्टियों में यकीन कम है. उनका यह भी कहना है कि संक्रमण की गंभीरता और टीकाकरण दर के बारे में अस्पष्ट जानकारी देने से भी भम्र की स्थिति पैदा हुई है. गौरतलब है कि सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों पर पर्वतीय पर्यटन स्थलों पर प्रवेश के लिए कारों की लंबी कतारों और लोगों की भीड़ की तस्वीरें सामने आई हैं, जिससे कई हलकों में चिंता बढ़ी है. अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के चक्कर में लोगों ने बचाव के बुनियादी उपाय करना भी छोड़ दिया है.वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ ललित कांत ने कहा कि नियमों का पालन नहीं करना, लोगों की उदासीनता और जो होगा ईश्वर की मर्जी से होगा का मिश्रण है. मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान के निदेशक नीमेश देसाई का कहना है कि मास्क न लगाना और सामाजिक दूरी का पालन नहीं करने जैसी लापरवाही का कारण यह है कि लोग खतरे को नहीं देख पा रहे हैं.उन्होंने कहा कि लोग खतरे को जिस तरह से आंकते हैं, उसके हिसाब से अपना व्यवहार बदलते हैं. देसाई का कहना है कि भारत में “सामाजिक गैर जिम्मेदारी की भारी प्रवृत्ति” देखी गई है. उन्होंने भी कहा कि लोगों को व्यवहार बदलने के लिए प्रेरित करना मुश्किल है, नामुमकिन नहीं.भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महामारी विज्ञान और संचारी रोग प्रभाग के पूर्व प्रमुख कांत ने कहा कि लोग जिस तरह से कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करेंगे, उसी के मुताबिक महामारी के मामले घटेंगे या बढ़ेंगे. देसाई ने कहा, “बीते दो दशक में विकसित देश यह समझ पाए हैं कि हर व्यक्ति की सेहत उसकी जीवनशैली और व्यवहार पर निर्भर करती है। यह हमारे समाज में नहीं है.अर्थशास्त्री अरूण कुमार ने कहा, “अगर लोगों का सरकारों में भरोसा ज्यादा होगा तो वे उसके निर्देशों का पालन करेंगे. भारत में दुर्भाग्य से राजनीतिक पार्टियों में विश्वास बहुत कम है.” उन्होंने कहा, “देखा गया है कि कई परिवारों ने इलाज के खर्च के लिए कर्ज लिया है. लोग अपना पैसा अपने पास रखेंगे. वे बाहर जरूर जाएंगे लेकिन पैसा अनावश्यक चीजों पर खर्च नहीं करेंगे. आप जो भीड़ बाजारों में देख रहे हैं, वे घूमने निकलें हैं पैसा खर्च नहीं करेंगे.अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर कुमार ने कहा, “अगर हर कोई कहता है कि हमने इस बीमारी पर जीत हासिल कर ली है तो लोग मास्क या सामाजिक दूरी की चिंता करने की जरूरत पर सवाल उठाएंगे. सरकार में स्पष्टता की कमी है.” उन्होंने कहा कि भारत के टीकाकरण की संख्या के लिहाज से अमेरिका से पिछले महीने आगे निकल जाने के सरकार के अनुमान ने झूठा दिलासा दिया है.केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि पर्वतीय पर्यटन स्थलों सहित देश के कई हिस्सों में कोविड -19 नियमों का स्पष्ट उल्लंघन देखा गया है, और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.