प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट /शुक्रवार को बेल ऑर्डर को पहुंचाने में हो रही देरी पर नाराज़गी जताई. कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट के ज़माने में हम ऐसी अहम चीज़ों के लिए आज भी पोस्टल सर्विस पर निर्भर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के इस दौर में हमलोग अब भी आसमान की तरफ देख रहे हैं कि कबूतर आदेशों को पहुंचाएगा. कोर्ट ने अपने अधिकारियों से कहा है कि वो एक ऐसा सिस्टम तैयार करे जिससे कि सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिए कोई भी डॉक्टूमेंट तुरंत संबंधित ऑफिस पहुंच जाए.सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस एलएन राव और एएस बोपन्ना की पीठ ने अफसोस जताते हुए कहा, ‘सूचना और संचार प्रौद्योगिकी और इंटरनेट के युग में, हम अभी भी कबूतरों के आदेशों को पहुंचाने के लिए आसमान की ओर देख रहे हैं.;बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की रजस्ट्री को दो हफ्ते के अंदर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है. साथ ही बेंच ने कहा है कि इस सिलसिले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एमिकस क्यूरी दुष्यंत दवे की भी राय ली जाए. इस नए सिस्टम को फ़ास्टर यानी फास्ट एंड सेक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का नाम दिया जाएगा. इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट के किसी भी आदेश को तुरंत हाईकोर्ट, ज़िला कोर्ट और जेल अधिकारियों को भेजा जा सकेगा.उच्चतम न्यायालय ने ये बातें आगरा में 13 कैदियों की रिहाई में हो रही देरी के बाद कही. सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में स्वत: संज्ञान लिया है. बता दें कि इन कैदियों को शीर्ष अदालत ने 8 जुलाई को जमानत दी थी. लेकिन अभी तक इन सबकी रिहाई नहीं हुई है. दोषी हत्या के एक मामले में आगरा जेल में 14 से लेकर 22 साल से बंद हैं. वे जुर्म के समय किशोर थे. शीर्ष अदालत ने आठ जुलाई को उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.