कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट . पूर्वी लद्दाख में चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने वहां अपनी खास यूनिट की तैनाती कर दी है. चीनी सेना से निपटने के लिए, भारतीय सेना ने कुछ महीने पहले पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उत्तरी कमान क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगी इकाइयों को तैनात किया है.आतंकवाद-रोधी विभाग को उत्तरी कमान क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में चल रहे ऑपरेशन से हटा दिया गया था और कई महीने पहले लद्दाख सेक्टर में तैनात किया गया था. सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया, ‘चीन द्वारा वहां आक्रामकता दिखाने के किसी भी संभावित कोशिश से निपटने के लिए एक सैन्य ईकाई (लगभग 15,000 सैनिक) तैयार कर उसे आतंकवाद विरोधी अभियानों से हटाकर लद्दाख क्षेत्र में ले जाया गया.’सैन्य ईकाई की गतिविधियों ने सेना को उत्तरी सीमाओं पर संचालन के लिए सौंपे गए अतिरिक्त कार्यों की देखरेख करने में मदद की है. सुगर सेक्टर में तैनात रिजर्व फॉर्मेशन के जवान ऊंचे पर्वतों पर युद्ध के लिए प्रशिक्षित हैं और हर साल लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानी इलाकों में युद्ध के खेल (War Games) आयोजित करता है. पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ने के साथ ही पिछले साल से वे चीन के साथ गतिरोध में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं. अग्रिम मोर्चों के लिए नई सैन्य ईकाई के गठन के बाद जो कमी पैदा हुई थी. पूर्वी लद्दाख में तनाव के मद्देनजर भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है और चीनियों को नियंत्रण में रखने के लिए वहां लगभग उतने ही सैनिकों को तैनात किया है, जितनी संख्या में पड़ोसी मुल्क के सैनिक वहां मौजूद हैं. पूर्वी लद्दाख में स्थिति इस हद तक खराब हो गई थी कि चार दशकों से अधिक समय के बाद चीन की सीमा पर गोलियां चलाई गईं और पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में अपने मृतक जवानों की संख्या छुपा रहे चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. भारतीय सेना एलएसी पर बहुत हाई अलर्ट है और वहां अपनी स्थिति को और मजबूत कर रही है. भले ही पैंगोंग झील के दोनों किनारों से सैनिकों की आंशिक वापसी हुई है, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है क्योंकि चीन गोगरा हाइट्स-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में तनाव वाले स्थानों से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं. दोनों देशों ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत की है, लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली है,